बेटे ने कहा, ब्राह्मण समाज के गरीब बच्चों की शिक्षा के लिए करेंगे दान
तुणी (आंध्र प्रदेश)। लोगों से भीख मांग-मांगकर उसने ज़िंदगी काटी। फटे-चीथड़े कपड़ों में भीख मांगते हुए बड़ी मुश्किल भरी ज़िंदगी कटी। भीख में मिले पैसे वह बड़ी जतन से बुरे दिनों के लिए संभालता रहा और एकदिन आख़िरकार मौत आनी थी सो आ गयी।
इलाके में ख़बर फैल गयी कि सुब्रह्मण्यम का पिछली रात निधन हो गया। उसे अपने घर में मृत पाया गया था। उसकी अंत्येष्टि के बाद इलाके के लोग उसके पूर्व गोदावरी जिले के तुणी शहर आवास पहुंचे। खंडहर नुमा उसका आवास एक पुरानी हवेली में था। यहां पहुंचे उसके परिजनों ने हवेली के हर कमरे में अलग-अलग जगहों पर पुराने कपड़े के झोले में 500 ,100, 50 और 10 के नोट पाए। कमरे की दीवार के ऊपर, हवेली की सीढ़ियों के नीचे और झरोखों और दीवारों में बने कोटले में नोटों के बंडल पड़े पाए गए।
मृतक तुणी शहर के मंदिरों के बाहर भीख मांगा करता था और माना जा रहा है कि लोगों से मिली भीख वह अपने इसी ठिकाने पर छुपाकर रखता था। मृतक की धर्मपत्नी का दस साल पहले निधन हो चुका है और उसके एक बेटे की पहचान भीमा शंकर के रूप में हुई है।
भिखारी के यहां भारी मात्रा में नगद मिलने की खबर से मीडियाकर्मियों व पुलिसवालों का जमावड़ा लग गया। हवेली के कोने-कोने से नगदी ढूंढ़कर निकाली गयी और सबकी मौजूदगी में उनकी गिनती का काम बुधवार देर शाम ही शुरू हुई।देर रात जब नोटों की गिनती सात लाख तक पहुंची तो बैंक से नोट गिनने वाली मशीन मंगवायी गयी। गुरुवार दोपहर तक नोटों की गिनती 12 लाख तक पहुंच गयी।
सुब्रह्मण्यम के बेटे भीमाशंकर ने पुलिस व मीडिया की मौजूदगी में कहा कि सारी धनराशि गरीब ब्राह्मण परिवारों के बच्चों की शिक्षा और स्थानीय ब्राह्मण समाज के कल्याण के लिए दान दे देंगे।