नई दिल्ली। जानकारी के मुताबिक एक नए अध्ययन का हवाला देते हुए कहा गया है कि कोरोना वायरस SARS-CoV-2 का कोई ‘विश्वसनीय प्राकृतिक पूर्वज’ नहीं है और इसे चीनी वैज्ञानिकों द्वारा वुहान लैब में ‘गेन-ऑफ-फंक्शन’ शोध पर काम करते हुए बनाया गया था।
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि वैज्ञानिकों ने चमगादड़ में पाए जाने वाले एक प्राकृतिक कोरोना वायरस को ‘रीढ़ की हड्डी’ से लिया और एक नया ‘स्पाइक’ जोड़ा, जिसने इसे घातक और अत्यधिक संक्रामक SARS-CoV-2 में बदल दिया।
अध्ययन में कथित तौर पर दावा किया गया है कि चीनी वैज्ञानिकों ने भी वायरस को रिवर्स-इंजीनियरिंग करके अपने ट्रैक को कवर करने की कोशिश की ताकि ऐसा लगे कि यह स्वाभाविक रूप से चमगादड़ से उत्पन्न हुआ है।
अध्ययन में चीनी प्रयोगशालाओं पर “जानबूझकर नष्ट करने, डेटा को छिपाने या दूषित करने” का भी आरोप लगाया गया है।
गेन-ऑफ-फंक्शन रिसर्च क्या है?
गेन-ऑफ-फंक्शन रिसर्च एक जीव या बीमारी को इस तरह से बदल देता है, जिससे रोगजनकों की क्षमता या विषाणु बढ़ जाते हैं। संभावित नई बीमारियों के वक्र से आगे रहने के लिए वैज्ञानिक मनुष्यों पर उनके संभावित प्रभावों का अध्ययन करने के लिए गेन-ऑफ-फंक्शन परियोजनाओं पर काम करते हैं। लेकिन अगर इसे सुरक्षित रूप से नहीं किया गया तो इसके प्रकोप का खतरा भी होता है।