– युवाओं की भूमिका, संस्कारों का दृढ़ीकरण और महिला उत्थान भी रहेंगे चर्चा के विषय
– पुष्कर में शनिवार से शुरू हो रही है तीन दिवसीय समन्वय बैठक
पुष्कर/अजमेर। पुष्कर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की शनिवार से शुरू हो रही अखिल भारतीय समन्वय बैठक में देश की जमीनी व समुद्री सीमाओं की सुरक्षा पर विशेष चिंतन होगा। इसके अतिरिक्त देश में जनजागरण, प्रबोधन, युवाओं की भूमिका, संस्कारों का दृढ़ीकरण और महिला समग्र विकास के बिंदु पर भी चिंतन किया जाएगा।
आरएसएस के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख अरुण कुमार ने शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि तीन दिनों तक चलने वाली अखिल भारतीय समन्वय बैठक में सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत, सरकार्यवाह सुरेश जोशी उपाख्य भैयाजी जोशी सहित संघ की अखिल भारतीय कार्यकारिणी के सदस्य और 35 संगठनों के 200 से अधिक प्रमुख पदाधिकारी सम्मिलित होंगे।
उन्होंने बताया कि पर्यावरण, जल संकट, युवाओं में कार्य विस्तार, नई पीढ़ी में संस्कार आदि विषयों पर पिछली बैठक में चिंतन किया गया था। इस संबंध में सभी संगठन अपने कार्य का वृत्त भी पेश करेंगे। उन्होंने बताया कि समय बीतने के साथ ही समाज जीवन की व्यवस्थाओं में भी बदलाव आया है। ऐसे में महिलाओं के समग्र विकास पर चिंतन किया जाएगा। इस चिंतन के आधार पर सभी संगठन अपने-अपने क्षेत्र में भविष्य की कार्य योजना तैयार कर सकेंगे।
अरुण कुमार ने कहा कि समन्वय बैठक में खास चर्चा देश की सीमाओं की सुरक्षा को लेकर होगी। किसी भी राज्य की सुरक्षा उसकी सीमाओं पर निर्भर है। सीमाएं सुरक्षित हैं तो राष्ट्र सुरक्षित है। जमीनी सीमा हो या समुद्री सीमा, इनकी सुरक्षा पर गहन चिंतन किया जाना जरूरी हो गया है। इस क्षेत्र में संघ के दो संगठन; सीमा जागरण मंच और सागर भारती कार्य कर रहे हैं, फिर भी सभी संगठनों, शासन, प्रशासन, सीमा पर रहने वाले लोगों की भूमिका पर विचार किया जाना है।
केंद्रीय गृहमंत्री एवं भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह स्वास्थ्य कारणों से समन्वय बैठक में हिस्सा नहीं लेंगे। भाजपा के कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा बैठक में मौजूद रहेंगे।
पुष्कर सरोवर पूजा
इससे पहले गुरुवार शाम को सरकार्यवाह भैयाजी जोशी, सह-सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले एवं वी. भागैया, क्षेत्र प्रचारक दुर्गादास, राष्ट्रीय संत अखिलेश्वर दास महाराज आदि के पहुंचने पर परशुराम घाट पर सामूहिक रूप से पुष्कर सरोवर की पूजा अर्चना की गई व ब्रह्मा मंदिर के दर्शन किए गए।