हमीरपुर। हमीरपुर जिला जेल में उम्रकैद की सजा काट रहे एक दम्पति के बच्चे की किलकारी से जेल इन दिनों गुलजार है। घर का माहौल देने के लिये जेल प्रशासन ने बच्चे को खेलने और कूदने के लिये इंतजाम भी किया है साथ ही वह रोजाना स्कूल भी पढ़ने भी जाता है। बच्चा स्कूल जाने से पहले ये जेल के सभी अधिकारियों व पुलिस कर्मियों को गुड मार्निंग करता है। जेल अधिकारी भी स्कूल में छुट्टी होने पर बच्चे के इंतजार में जेल के गेट पर खड़े रहते हैं।
हमीरपुर जिला कारागार में इस समय 663 बंदी कैद हैं। जेल में 639 पुरुष और 24 महिला बंदी भी अपने जुर्म की सजा भुगत रहे हैं। महिला बंदियों के साथ आठ बच्चे भी जेल में है जिनमें एक बच्चा करीब चार साल की उम्र का है। बाकी बच्चे छह माह से लेकर दो साल की उम्र के हैं। बच्चों की किलकारी से जेल इन दिनों गुलजार है। जेल में इन बच्चों के खेलने और कूदने के लिये जेल प्रशासन ने इंतजाम किये हैं। बच्चों के खेलने के सामान भी उपलब्ध कराये गये है। जेल को ही बच्चों ने अपना घर बना डाला है। महिला बंदियों के बच्चे जेल के अंदर मैदान में उछल कूद करते हैं तो कुछ बड़े बच्चे बाल (गेंद) भी खेलते हैं। बच्चों की उछल कूद अधिकारी भी देखते हैं।
सजायाफ्ता बंदी दम्पति के बच्चे का नाम रखा कृष्णा
जेलर पी.के. त्रिपाठी ने गुरुवार को बताया कि जेल में हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा में बंद गुड़ियां व उसका पति नरेन्द्र सदर कोतवाली क्षेत्र के हेलापुर के रहन वाले है जिन्हें में देवरानी संगीता की हत्या के मामले में 16 जनवरी 2016 को गिरफ्तार कर जेल में दाखिल किया गया था। पांच माह का बच्चा भी इन दोनों के साथ जेल लाया गया था। इस मामले में जिसमें 7 अप्रैल 2018 को विशेष न्यायाधीश (ई.सी.एक्ट) विजय पाल ने आरोप सिद्ध होने पर दोनों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गयी थी।
अच्छे स्कूल में बच्चे को पढ़ा रहा जेल प्रशासन
जेलर पीके त्रिपाठी ने बताया कि ये बच्चा बड़ा ही होशियार है। इसे पिछले दो सालों से नगर के एक बड़े स्कूल में पढ़ाया जा रहा है। बच्चा इस साल कक्षा एक में पढ़ता है। इसे सुबह स्कूल की बस से पढ़ने भेजा जाता है और फिर जब स्कूल में छुट्टी होती है तो बच्चे को देख जेल के दरवाजे खुल जाते हैं। जेलर का कहना है कि ये बच्चा स्कूल से आने के बाद होमवर्क करता है। फिर भोजन करता है। कभी-कभी इसके लिये मन पसंद का व्यंजन खाने को दिया जाता है। पढ़ाई के बाद ये जेल में ये गेंद व अन्य खेल खेलता है।
छह साल की उम्र में राजकीय संस्था जायेगा कृष्णा
जेलर पीके त्रिपाठी ने बताया कि जेल के नियमों के मुताबिक ये बच्चा छह साल की उम्र तक जेल में रह सकता है। इसके बाद माता पिता यदि किसी रिश्तेदार या अभिभावक के सुपुर्द करने को कहेंगे तो इस पर जेल प्रशासन फैसला लेगा। उन्होंने बताया कि यदि माता पिता की रजामंदी नहीं होगी तो इस बच्चे को किसी राजकीय बाल संस्थान में भेजने के लिये फाइल प्रशासन के माध्यम से अदालत भेजी जायेगी। इस बच्चे को आगे की पढ़ाई कराने और भोजन के अलावा अन्य बुनियादी सुविधायें संस्था को करनी होगी।