नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट ने जेएनयू के छात्रों को बड़ी राहत दी है। अब तक रजिस्ट्रेशन नहीं करा सके छात्रों को पुरानी फीस के आधार पर ही एक सप्ताह में रजिस्ट्रेशन कराने का आदेश दिया है। साथ ही कहा है कि इन छात्रों से कोई लेट फीस नहीं वसूली जाएगी।
जस्टिस राजीव शकधर की बेंच ने जेएनयू छात्रसंघ की युनिवर्सिटी में बढ़ी हुई फ़ीस को चुनौती देनेवाली याचिका पर जेएनयू प्रशासन को नोटिस जारी करते हुए दो हफ्ते में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। जेएनयू छात्रसंघ की ओर से वकील अखिल सिब्बल ने कोर्ट को बताया कि जेएनयू प्रशासन ने छात्रसंघ पदाधिकारियों को एकेडमिक काउंसिल की बैठक में हिस्सा लेने की अनुमति नहीं दी। सिब्बल ने कहा कि चुनाव प्रक्रिया के बारे में शिकायत करने के लिए शिकायत निवारण कमेटी है। युनिवर्सिटी प्रशासन अपने आप छात्र संघ के पदाधिकारियों और सदस्यों को काम करने से नहीं रोक सकता है।
सिब्बल ने कहा कि हाई कोर्ट कई बार जेएनयू प्रशासन को कह चुका है कि अगर छात्र संघ चुनाव को लेकर उनकी कोई आपत्ति है तो शिकायत निवारण कमेटी के समक्ष रखें। इसके बावजूद जेएनयू प्रशासन ने शिकायत निवारण कमेटी के समक्ष कोई बात नहीं रखी। जेएनयू छात्रसंघ ने इस संबंध में कई बार जेएनयू प्रशासन से कहा कि बिना छात्रों के प्रतिनिधित्व के एकेडमिक काउंसिल की बैठक न करें।
जेएनयू छात्रसंघ की ओर से अध्यक्ष आईशी घोष ने अपनी याचिका में मांग की है कि फीस हॉस्टल बढ़ाने का फैसला निरस्त करने का दिशा-निर्देश जारी किया जाए। याचिका में कहा गया है कि छात्रों को पुरानी फीस स्ट्रक्चर के मुताबिक ही जनवरी 2020 के सत्र के लिए रजिस्ट्रेशन कराने की अनुमति दी जाए। याचिका में यह भी मांग की गई है कि विंटर रजिस्ट्रेशन फीस जिन्होंने दाखिल नहीं की है, उन पर लेट फीस का जुर्माना न लगाया जाए।
उल्लेखनीय है कि जेएनयू छात्रसंघ पिछले दो महीने से ज्यादा से बढ़ी हुई फीस के खिलाफ आंदोलन कर रहा है। इसे लेकर कई बार छात्रों और पुलिस के बीच हिंसक झड़प भी हुई है।