नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को कौशल विकास और रोजगार से जुड़े ‘हिमायत मिशन’ की सराहना करते हुए कहा कि इस कार्यक्रम ने जम्मू-कश्मीर में हजारों बेरोजगार युवाओं में एक नया आत्मविश्वास जगाया है और आगे बढ़ने का मार्ग भी प्रशस्त किया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के हिमायत प्रोग्राम में 15 से 35 वर्ष तक के किशोर और युवा शामिल होते हैं। ये जम्मू-कश्मीर के वे लोग हैं जिनकी पढाई, किसी कारण पूरी नहीं हो पाई जिन्हें बीच में ही स्कूल-कॉलेज छोड़ना पड़ा। उन्होंने कहा कि कार्यक्रम के अंतर्गत पिछले दो सालों में 18 हजार युवाओं को 77 अलग-अलग ट्रेड में प्रशिक्षण दिया गया है। इनमें से करीब पांच हजार लोग तो कहीं-न-कहीं नौकरी कर रहे हैं और बहुत सारे स्व-रोजगार की ओर आगे बढे हैं।
प्रधानमंत्री ने कश्मीर में अनंतनाग के रकीब-उल-रहमान सहित कई अन्य युवाओं का नाम लिया, जो आर्थिक तंगी के चलते अपनी पढ़ाई पूरी नहीं कर सके और इस मिशन से जुड़ने के बाद उनकी जिंदगी बदल गई। रकीब ने हिमायत कार्यक्रम की मदद से रिटेल टीम लीडर कोर्स में दाखिला लिया। वहां ट्रेनिग पूरी करने बाद आज, वो एक कॉर्पोरेट हाउस में नौकरी कर रहे हैं।
मोदी ने कहा कि इसी तरह परवीन फातिमा, तमिलनाडु के त्रिपुर की एक गारमेंट यूनिट में कार्यरत हैं। एक साल पहले तक वो करगिल के एक छोटे से गांव में रह रही थी। परवीन की तरह ही हिमायत प्रोग्राम ने लेह-लद्दाख क्षेत्र के निवासी अन्य बेटियों का भी भाग्य बदला है और ये सभी आज तमिलनाडु की उसी फार्म में काम कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि ‘हिमायत मिशन’ से लाभान्वित, प्रतिभाशाली युवाओं के ऐसे कई उदाहरण हैं जो जम्मू-कश्मीर में परिवर्तन के प्रतीक बने हैं। हिमायत कार्यक्रम, सरकार, ट्रैनिंग पार्टनर, नौकरी देने वाली कम्पनियां और जम्मू-कश्मीर के लोगों के बीच एक बेहतरीन तालमेल का आदर्श उदाहरण है।