नई दिल्ली। केन्द्र सरकार ने भारत की जनगणना 2021 की कवायद के लिए 8,754.23 करोड़ रुपये और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) के अपडेशन के लिए 3,941.35 करोड़ रुपये के खर्च को मंजूरी दी है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल की मंगलवार को हुई बैठक में इस आशय से जुड़े प्रस्तावों को मंजूरी दी गई।
मंत्रिमंडल के फैसलों की जानकारी देते हुए केन्द्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि देश में जनगणना की प्रक्रिया अंग्रेजों के समय से हर 10 साल में होती आ रही है। अंग्रेजों के कार्यकाल में आठ और स्वतंत्र भारत में अब तक सात बार जनगणना हो चुकी है। इस बार 2021 के लिए 16वीं बार जनगणना होगी। वहीं पिछली बार 2010 में संयुक्त प्रगतीशील गठबंधन की सरकार ने राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर की शुरुआत की थी, जिसे 2015 में अपडेट किया गया। इस दौरान उस समय के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने लोगों को कार्ड भी बांटे थे। इसी से जुड़ी जानकारी अब आगे भी इकट्ठी की जाएगी।
जावड़ेकर ने बताया कि इसके माध्यम से देश में लोगों की आर्थिक व सामाजिक स्थिति की जानकारी मिलती है ताकि सरकारी योजनाओं का लाभ उन तक बेहतर ढंग से पहुंच सके। यह प्रक्रिया 2020 के अप्रैल से शुरू होगी और सितम्बर तक चलेगी। इसमें घर-घर जाकर जानकारी एकत्र की जाएगी। वहीं फरवरी 2021 में हेड काउंट होगा। उन्होंने बताया कि हर बार इससे जुड़ा एक लम्बा फार्म होता है। इसके लिए किसी तरह के दस्तावेज की जरूरत नहीं होगी। ब्रिटिश काल से चली आ रही जनगणना को अब तकनीक से कराने के लिए एक ऐप तैयार किया गया है। इस ऐप के जरिए रजिस्ट्रेशन कराया जा सकेगा।
एनआरसी और एपीआर में अंतर
नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) को लेकर देशभर में फैले संशय के माहौल को देखते हुए जावड़ेकर ने स्पष्ट किया है कि राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) का एनआरसी से कोई लेन-देना नहीं है। यह एक प्रक्रिया है जिसकी शुरुआत यूपीए सरकार में हुई थी। सभी राज्यों ने इसे स्वीकार किया है। इसे नोटिफाई किया गया है और इसको लेकर प्रशिक्षण कार्यक्रम भी चल रहे हैं। इसके लिए किसी भी व्यक्ति को अपनी पहचान से जुड़े दस्तावेज, कागज या फिर बायोमेट्रिक जानकारी नहीं देनी होगी।