नई दिल्ली: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने शुक्रवार को कहा कि देश के छात्रों का सत्ता के विरोध में खड़े होना अपनी जगह ठीक है, लेकिन क्रांति के नाम पर देश के टुकड़े करने की सोच रखना पूरी तरह गलत है। उन्होंने कहा कि अपनी मांग रखने के साथ ही छात्रों को समाज के लिए सृजनात्मक योगदान भी देना चाहिए। दत्तात्रेय होसबाले ने शुक्रवार को पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा के साथ अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के इतिहास पर लिखी ‘ध्येय यात्रा’ नामक पुस्तक का विमोचन किया। पुस्तक विमोचन के बाद अपने उद्बोधन में उन्होंने कहा कि देश के छात्र आंदोलन को आजतक एक विचारधारा के चश्मे के तहत देखा जाता रहा है और सही चित्रण समाज के समक्ष प्रस्तुत नहीं किया गया है। दिल्ली के डॉ आंबेडकर इंटरनेशनल सभागार में आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद छात्र राजनीति संगठन नहीं है, बल्कि छात्र गतिशीलता प्रदान करने वाला संगठन है।
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एबीवीपी ने सकारात्मक तरीके से कई आंदोलन किए हैं और सदैव देश को विभाजन करने वाली शक्तियों के खिलाफ कैंपस परिसर में खड़ा हुआ है। ध्येय यात्रा पुस्तक की प्रासंगिकता दर्शाते हुए दत्तात्रेय होसबाले ने कहा कि देश में छात्र राजनीति को एक विचारधारा के चश्मे के साथ देखा जाता रहा है और एबीवीपी का सही चित्रण नहीं किया गया है। यह पुस्तक छात्रों के लिए प्रेरणा स्रोत का काम करेगी। साथ ही छात्र गतिशीलता का आधार राष्ट्र सर्वोपरि है, इसका भान करायेगी। पूर्व चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने इस दौरान युवाओं को राष्ट्रहित में कार्य करने की प्रेरणा दी और साथ ही आयोग में अपने कार्यकाल से संबंधित कुछ प्रसंग बताये। उन्होंने कहा कि 2019 के चुनाव के बाद कुछ पूर्व अधिकारियों ने पत्र लिखकर चुनाव प्रक्रिया पर सवाल उठाये थे। इसका उत्तर उन्होंने नहीं दिया, क्योंकि उनके पहले के एक मुख्य चुनाव आयुक्त ने उन्हें कहा था कि हर जवाब पर यह लोग फिर प्रश्न पूछेंगे।
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सुनील अरोड़ा ने कहा कि भारत आज दुनिया को युवा प्रतिभाएं सौंप रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि संकट के समय हमारा देश एकजुट हो जाता है। हमें हमेशा एकजुट रहना चाहिए। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने कहा कि स्वाधीनता के बाद भी देश को दिशा देने से जुड़े कई आंदोलन हुए हैं। इनमें छात्रों ने बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया है, चाहे वह जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने से जुड़ा हो या फिर सामाजिक न्याय का प्रश्न हो।
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उन्होंने कहा कि देश की हर पीढ़ी को आज भी ऐसे छात्रों और संगठन की आवश्यकता है जो राष्ट्र सर्वोपरि के ध्येय से काम कर सकें। उल्लेखनीय है कि 9 जुलाई 1949 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की स्थापना हुई थी। वर्तमान में संगठन की 3900 से अधिक इकाइयां हैं और यह 2100 शैक्षिक परिसरों में सक्रिय है। लगभग 35 लाख कार्यकर्ताओं के साथ एबीवीपी दुनिया का सबसे बड़ा छात्र संगठन है।