नई दिल्ली। हाल ही में फ्रांस के वायरलॉजिस्ट और नोबेल पुरस्कार विजेता ल्यूक मॉन्टैग्नियर ने कोरोना की वैक्सीन और वेरिएंट पर एक बयान दिया था जो काफी चर्चा में था. ल्यूक ने दावा किया था कि वैक्सीन से बनी एंटीबॉडी कोरोना के नए-नए वेरिएंट को जन्म देगी और इससे महामारी और खतरनाक रूप धारण कर लेगी. हालांकि, ल्यूक के इस दावे को तमाम डॉक्टर्स और वैज्ञानिक खारिज कर चुके हैं. भारत की प्रसिद्ध वैक्सीन वैज्ञानिक गगनदीप कांग ने भी ल्यूक के इस दावे को बेबुनियाद बताया है.
डॉक्टर कांग ने एक ट्वीट में लिखा, “ल्यूक ने कहा कि वैक्सीन लगवाने वालों में एंटीबॉडी डिपेंडेंट एन्हैंसमेंट (ADE) की वजह से वेरिएंट से संक्रमण और मजबूत हो जाएगा, बड़े पैमाने पर वैक्सीनेशन करना एक बहुत बड़ी गलती है, एक चिकित्सकीय भूल है.’ कांग ने ट्वीट कर कहा कि उनका ये दावा सही नहीं है.”
डॉक्टर कांग ने कहा, ‘जब हम संक्रमित होते हैं या फिर जब वैक्सीन लगवाते हैं तो हमारे शरीर में पूरे वायरस या वायरस के हिस्से के जवाब में एंटीबॉडी बनती है. वायरल संक्रमण में, शरीर का एंटीबॉडी समेत इम्यून रिस्पॉन्स वायरल की प्रतिकृति (रेप्लिकेशन) बनने से रोक देता है और हम संक्रमण से ठीक हो जाते हैं.’
डॉ. कांग ने कहा, ‘वेरिएंट को कम करने का एकमात्र तरीका वैक्सीनेशन को रोकना नहीं बल्कि इसे बढ़ाना है, तभी इस वायरस को फैलने से रोका जा सकता है.’ उन्होंने कहा कि स्टडीज में यह देखा गया है कि वैक्सीन लोगों में वायरल प्रतिकृति (रेप्लीकेशन) को कम करती है और संक्रमण फैलने से रोकती है. ये प्रभावी रूप से पूरी दुनिया में वायरल लोड कम कर रही है.