रांची। आजसू पार्टी ने झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) पर निशाना साधते हुए कहा है कि सामाजिक न्याय की लड़ाई पार्टी की विचारधारा है,जबकि झामुमो के लिए यह चुनावी नारा है। आजूस प्रवक्ता देवशरण भगत ने शुक्रवार को प्रेस कांफ्रेस में कहा कि उनकी पार्टी का मानना है कि आबादी के हिसाब से आरक्षण मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा कि झारखंड में पिछड़ा आरक्षण बढ़ाने पर सबसे ज्यादा आजसू पार्टी मुखर रही हैं। उन्होंने कहा कि 73 प्रतिशत आरक्षण से ही सामाजिक न्याय की परिकल्पना साकार होगी। झारखंड में पिछड़े वर्ग के आरक्षण का दायरा 14 फीसदी से बढ़ाकर 27 प्रतिशत करने के लिए सबसे ज्यादा और संजीदगी से आजसू पार्टी ने आवाज उठाई है। पार्टी ने इसके लिए सड़कों पर आंदोलन किया है और विभिन्न मंचों से आवाज उठाने के साथ इस मुद्दे पर बहस को आगे बढ़ाया है। पार्टी के राजनीतिक एजेंडे में यह शामिल है। इसके साथ ही आजसू पार्टी अनूसूचित जनजाति और अनुसूचित जाति के आरक्षण बढ़ाने की भी हिमायती रही है।
उन्होंने कहा कि झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन को यह बताना चाहिए कि चुनाव के ऐन मौके पर इस मुद्दे की याद उन्हें कैसे आई। जबकि इससे पहले कभी उन्होंने पिछड़े वर्ग की चिंता नहीं की और न ही किसी मंच से झामुमो ने ओबीसी आरक्षण बढ़ाने की वकालत की। झामुमो के इस शिगुफा से झारखंड की जनमानस वाकिफ है। इसलिए झामुमो नेता को सार्वजनिक तौर पर यह भी बताना चाहिए कि पांच सालों से उन्होंने इसे कभी कोई मुद्दा क्यों नहीं समझा। कई बार झामुमो के नेता मुख्यमंत्री रहें है उस समय उन्हें जनता के मुद्दे याद नहीं रहते हैं। जल,जंगल और जमीन की बात करने वाले को बताना चाहिए कि सीएनटी-एसपीटी में छेड़-छाड का शुरूआत उनके द्वारा किया गया या नहीं। जनता अब उनके झांसे में आने वाली नहीं है।