रांची। झारखंड में सर्व शिक्षा अभियान (अब समग्र शिक्षा अभियान) के तहत नियुक्त लगभग तीन हजार अप्रशिक्षित पारा शिक्षकों को दो साल से मानदेय नहीं मिल रहा था। अब इन्हें मानदेय का भुगतान किया जाएगा। इतना ही नहीं, इनका बकाया मानदेय का भी भुगतान होगा।
झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद ने विधि परामर्श के बाद यह निर्णय लिया है। झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद ने अप्रशिक्षित पारा शिक्षकों को इस साल अप्रैल से जुलाई माह तक के लिए मानदेय भुगतान की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
राज्य परियोजना निदेशक डाॅ. शैलेश कुमार चौरसिया ने सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों को इन पारा शिक्षकों के कार्य की शुद्धता की जांच कर वार्षिक कार्य योजना एवं वित्तीय वर्ष 2021-22 में उपलब्ध कराए गए वास्तविक कार्यरत अप्रशिक्षित पारा शिक्षकों के अप्रैल से जुलाई 2022 तक लंबित मानदेय की गणना कर भुगतान हेतु नियमानुसार सही आंकड़े पीएफएमएस पोर्टल पर 10 अगस्त तक अपलोड करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों को इसकी सूचना उपलब्ध कराने के लिए कहा है।
राज्य परियोजना निदेशक ने अप्रशिक्षित पारा शिक्षकों के पिछले वित्तीय वर्षों के लंबित मानदेय की गणना कर अलग से परिषद कार्यालय को उपलब्ध कराने को कहा है।
जुलाई 2019 से मार्च 2020 तथा अप्रैल 2020 से मार्च 2021 तक के मानदेय का भुगतान राशि की उपलब्धता के अनुसार अलग से किया जाएगा।
बता दें कि झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद ने निर्धारित अवधि तक डीएलएड का प्रशिक्षण पूरा नहीं करने पर इन्हें कार्यमुक्त करने का आदेश दिया था। हालांकि इनमें से अधिसंख्य पारा शिक्षकों से जिलों में कार्य लिया जाता रहा।
निश्शुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा के अधिकार अधिनियम, 2009 के तहत स्कूलों में अप्रशिक्षित शिक्षक पठन-पाठन नहीं कर सकते। सभी अप्रशिक्षित को 31 मार्च 2019 तक प्रशिक्षण प्राप्त करने का अंतिम मौका प्रदान किया गया था। इसके लिए राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी संस्थान से सभी अप्रशिक्षित शिक्षकों को प्रशिक्षण दिलाया गया। इनमें पारा शिक्षक भी शामिल हैं। लेकिन तीन हजार पारा शिक्षक अभी भी अप्रशिक्षित रह गए।