हजारीबाग। विनोबा भावे विश्वविद्यालय में संचालित एमएड संभाग को पुनः मान्यता दिए जाने के आदेश से पूरे विश्वविद्यालय परिवार में खुशी की लहर दौड़ गई है। एमएड संभाग से जुड़े तमाम किंतु परंतु पर विराम लग गया है। मालूम हो कि शिक्षकों की संख्या की कमी एवं अग्नि सुरक्षा प्रमाणपत्र नहीं जमा होने के कारण एनसीटीई भुवनेश्वर के द्वारा मान्यता वापस ले ली गई थी।
लेकिन वर्तमान कुलपति डॉ मुकुल नारायण देव की दूरदर्शिता एवं त्वरित संज्ञान लेने के कारण विश्वविद्यालय द्वारा एनसीटीई की मुख्यालय नई दिल्ली में अपील की गई। इस वाद को स्वीकार करते हुए एन सी टी ई भुवनेश्वर को निर्देश दिया गया कि विश्वविद्यालय द्वारा शिक्षकों की सूची एवं अग्नि सुरक्षा प्रमाणपत्र जमा करने के उपरांत पुनः मान्यता बहाल की जाए। इस निर्णय से विश्वविद्यालय महकमे ने संतोष की सांस ली है। उक्त जानकारी देते हुए एमएड के निदेशक डॉक्टर मार्गेट लाकड़ा ने बताया कि कुलपति डॉ मुकुल नारायण देव ने संज्ञान लेते हुए इस पर कार्रवाई की और जिसका नतीजा हुआ कि पुनः मान्यता मिलने की आदेश जारी हो गया।
कुलपति के प्रयास से ऐसा संभव हो सका तथा एमएड संभाग को पुनः मान्यता दिए जाने का मार्ग पूरी तरह प्रशस्त हो गया है। इसके पूर्व तीन तीन बार एनसीटीई मुख्यालय नई दिल्ली में विश्वविद्यालय के प्रतिनिधि उपस्थित होकर साक्ष्य प्रस्तुत किया था जिसके आधार पर 29 मई को आदेश पारित किया गया। ज्ञात हो कि पिछले 29 मई को ऑनलाइन अपील की सुनवाई में विश्वविद्यालय के 2 प्रतिनिधि डॉ तनवीर युनूस एवं डॉ मृत्युंजय प्रसाद को शामिल होना था लेकिन एनसीटीई के तकनीकी कारण से सुनवाई की प्रक्रिया से ऑनलाइन से जुट नहीं सके।
इसकी सूचना ई-मेल से उक्त तिथि को विश्वविद्यालय द्वारा प्रेषित भी कर दी गई थी। लेकिन अपील में सुनवाई के बाद दिए गए निर्णय से अब सारे भ्रम दूर हो गए हैं । उक्त जानकारी विनोबा भावे विश्वविद्यालय के पीआरओ डॉ प्रमोद कुमार ने दी।