रांची। देशभर में कोरोना वैक्सीनेशन ड्राइव जारी है लेकिन इसी बीच केंद्र के एक आंकड़े ने झारखंड सरकार पर सवाल खड़े कर दिए हैं। हाल ही में केंद्र ने राज्यों के साथ टीकाकरण की प्रगति की समीक्षा की। इस बैठक की अध्यक्षता केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव ने की। इस बैठक में वैक्सीन की बर्बादी पर भी चर्चा की गई। इस चर्चा में सामने आया कि सबसे अधिक वैक्सीन की बर्बादी झारखंड में हुई है। इसके बाद बुधवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपने ट्विटर पर सभी जिलों को दी गयी और वेस्ट हुई वैक्सीन का आंकड़ा जारी किया है। आंकड़ा जारी करने का उद्देश्य केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की उस रिपोर्ट का खंडन करना है, जिसमें बताया गया कि झारखंड जैसे राज्यों में 37.3 फीसदी वैक्सीन की बर्बादी दर्ज की गई है।
मुख्यमंत्री ने जिलावार आंकड़ा जारी कर बताया है कि राज्य सरकार के पास अबतक टीके की कुल खुराक की उपलब्धता के अनुसार, वैक्सीन की बर्बादी का अनुपात केवल 4.65 प्रतिशत है। तकनीकी कठिनाइयों के कारण टीकाकरण डेटा को केंद्रीय को-विन सर्वर पर पूरी तरह से अपडेट नहीं किया जा सका है। अपडेशन प्रक्रिया में है। राज्य सरकार द्वारा जिलों को 48.63 लाख टीके की आपूर्ति की गई है। जिलों द्वारा अबतक 42.07 लाख टीकों का उपयोग किया गया है। जिलों में कुल टीके की कवरेज को देखें तो वह 40.12 लाख है, जबकि बर्बादी का प्रतिशत 4.65 है।
वहीं केंद्रीय रिपोर्ट पर हेमंत सरकार के मंत्रियों ने भी पलटवार किया है। स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने कहा है कि झूठ फरेब और जुमलेबाजी के सहारे केन्द्र सरकार झारखंड को बदनाम कर रही हैं। आंकड़ों के बाजीगरी और फर्जी आंकड़े जारी करने का क्या मकसद हैं? क्या इसी तरह के फर्जी आंकड़ों के साथ पूरे देश को गुमराह किया जा रहा है?राज्य सरकार टीकों की कम से कम बर्बादी सुनिश्चित करने के लिए यथासंभव उपलब्ध वैक्सीन खुराक का अधिकतम उपयोग करने का प्रयास कर रही है। राज्य के सुदूरवर्ती और अन्य ग्रामीण क्षेत्रों में टीकाकरण जागरूकता अभियान के साथ इसे और कम करने का प्रयास किया जा रहा है।