रांची। झारखंड की जेलों में सजा काट रहे 32 बंदियों को स्वतंत्रता दिवस पर रिहा कर दिया जाएगा। प्रदेश सरकार ने इन सभी दोष सिद्ध बंदियों की शेष सजा माफ कर दी है। इस संबंध में राज्य सरकार ने शनिवार को आदेश जारी कर दिया है।
आजादी का अमृत महोत्सव के कार्यक्रमों के क्रम में पहले चरण 15 अगस्त के अवसर पर बंदियों की शेष सजा अवधि को माफ करते हुए उन्हें रिहा किया जाएगा। प्रदेश सरकार ने होटवार स्थित बिरसा मुंडा केद्रीय कारा से 10, हजारीबाग स्थित जयप्रकाश नारायण केद्रीय कारा से 12, घाघडीह स्थित केद्रीय कारा से तीन, गिरीडीह स्थित केद्रीय कारा से एक और दुमका स्थित केद्रीय कारा से छह कैदी को रिहा किया जायेगा।
ये कैदी होंगे रिहा
बिरसा मुंडा केद्रीय कारा से राजेद्र साहू (65), विघाधर पातर (60), बिरसा सिंह (47), संजय भगत (26), मंटू साहू (37), विमल साहू (40), बुद्धेश्वर साहू (48), अयूब अंसारी (44), तेबूं उरांव (53) और परासण गुड़िया (33). जयप्रकाश नारायण केद्रीय कारा से सुगवा उर्फ सुगिया देवी (65), मकबूल अंसारी (73), इशाक मियां (66), यमुना सोनार (77), काशीनाथ महतो (65), कृष्णा बेहरा (29), गंगाधर मंडल (51), राजू रवानी (27), राजू भूइयां (25), मो इरफान अंसारी (39), पंकज दुबे उर्फ संतोष दुबे (38) और अजय सिंह (31). घाघडीह सेट्रल जेल से सुचानंद सिंह (41), शत्रुध्न सिंह (31) औऱ अकल सिंह (26). गिरिडीह सेट्रल जेल से रियाज अंसारी (37), दुमका केद्रीय कारा से जैनुल शैख (48), बलबीर कुंवर (26), फूले भंडारी (58), सोमा बेसरा (55), गुरु प्रसाद महतो (51) और राजकिशोर मंडल (59)।
उल्लेखनीय है कि गृह विभाग में राज्य स्तरीय स्क्रीनिंग कमेटी कैदियों की जेल की शर्तों को कम करने का फैसला करती है और राज्य कैबिनेट को इसकी सिफारिश करती है, जहां से यह अंतिम मंजूरी के लिए राज्यपाल के पास जाती है। केंद्रीय गृह मंत्रालय (एमएचए) ने सभी राज्य सरकारों को अपने-अपने राज्यों में कुछ मानदंडों को पूरा करने वाले कैदियों की सजा माफ करने का निर्देश दिया है।
गृह मंत्रालय ने कैदियों को रिहा करने के लिए दिशा-निर्देश के अनुसार, 50 वर्ष से अधिक उम्र की महिला कैदी जो अपनी सजा का 50 प्रतिशत पूरा कर लिया है, 60 वर्ष से अधिक उम्र के पुरुष कैदी जो अपनी अवधि का 50 प्रतिशत पूरा कर लिया है, 70 प्रतिशत के साथ शारीरिक रूप से अक्षम कैदी विकलांग या अधिक और जिन्होंने अपनी सजा का 50 प्रतिशत पूरा कर लिया है, मानसिक रूप से बीमार कैदी, कैदी जिन्होंने अपनी सजा पूरी कर ली है लेकिन अभी भी जुर्माना का भुगतान न करने के कारण जेल में हैं।
ऐसे गैर-आजीवन कारावास श्रेणी के अंतर्गत आने वाले कैदियों को विशेष छूट के तहत रिहा किया जायेगा। छोटे अपराध के आरोप में लंबे समय से जेल में बंद कैदियों को अच्छे आचरण पर रिहा किया जायेगा। हालांकि, मृत्युदंड और आजीवन कारावास के दोषी, आतंकी गतिविधियों में शामिल कैदी, एनडीपीएस के आरोप में दोषी, बलात्कार, मानव तस्करी, जाली नोटों और मनी लॉन्ड्रिंग को विशेष छूट का लाभ नहीं दिया जाता है।