रांची। झारखंड में फर्जी सर्टिफिकेट के जरिए लंबे समय से काम कर रहे करीब पांच सौ पारा शिक्षकों पर शिक्षा विभाग ने प्राथमिकी दर्ज कर मानदेय वसूली का आदेश दिया है। शिक्षा विभाग ने ऐसे पारा शिक्षकों के विरुद्ध ना केवल प्राथमिकी दर्ज करने का निर्णय लिया बल्कि फर्जी पारा शिक्षकों से मानदेय की भी वसूली करने का निर्णय लिया है।
स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग ने ऐसे शिक्षकों के खिलाफ सभी जिलों के अधिकारियों को कार्रवाई कर 31 जनवरी तक रिपोर्ट देने को कहा है। शिक्षा सचिव के रवि कुमार ने सोमवार को बताया कि फर्जी प्रमाण पत्र के जरिए काम कर रहे ऐसे पारा शिक्षकों को कारण बताओ नोटिस जारी कर शिक्षा विभाग उनका पक्ष जानने की कोशिश करेगा, उसके बाद नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।
राज्य सरकार के निर्णय के बाद शिक्षा विभाग की ओर से इन दिनों 61 हजार शिक्षकों के सर्टिफिकेट की जांच चल रही है। जानकारी के मुताबिक 61 हजार शिक्षकों में से करीब 52 हजार पारा शिक्षकों की सर्टिफिकेट की जांच हो चुकी है। इनमें करीब पांच सौ ऐसे पारा शिक्षक चिन्हित किए गए हैं, जिनके प्रमाण पत्र फर्जी पाए गए हैं।
फर्जी सर्टिफिकेट पर काम करने वाले शिक्षकों ने सर्टिफिकेट जांच के लिए आवेदन नहीं किया और अपना त्यागपत्र भी दे दिया। कुछ ऐसे भी पारा शिक्षक पाए गए हैं, जो लंबे समय से स्कूल नहीं आ रहे हैं और जिन्होंने सर्टिफिकेट दिया लेकिन जांच में वह फर्जी निकला। इन सभी पर शिक्षा विभाग में अलग-अलग कार्रवाई करने का निर्देश जिलों के अधिकारियों को दिया है।
शिक्षा विभाग के अधिकारियों की माने तो राज्य के करीब 133 पारा शिक्षकों ने सर्टिफिकेट जांच के दौरान नौकरी छोड़ दी है। वहीं 107 ऐसे पारा शिक्षक हैं जो लंबे समय से स्कूल में उपस्थित नहीं हुए हैं, उनके खिलाफ भी आवश्यक कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए हैं।
झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद में चल रहे शिक्षकों के सर्टिफिकेट जांच के दौरान बिहार, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, ओडिशा आदि राज्यों के प्रमाण पत्र पाये गए हैं। सभी पारा शिक्षकों की प्रमाण पत्रों की जांच 31 जनवरी तक पूरा कर लेने का निर्णय लिया गया है। इसके अलावा जिलों से यह भी कहा गया है कि जिनका शैक्षणिक और प्रशैक्षणिक प्रमाण पत्रों के सत्यापन विभिन्न बोर्ड और विश्वविद्यालयों में सत्यापन के लिए लंबित है उन्हें भी 31 जनवरी तक जांच पूरी कराना सुनिश्चित करेंगे।