रांची। भारत सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के पत्र सूचना कार्यालय, रांची, प्रादेशिक लोक संपर्क ब्यूरो रांची और क्षेत्रीय लोक संपर्क ब्यूरो, गुमला के संयुक्त तत्वावधान में आज़ादी का अमृत महोत्सव के तहत धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा की जयंती “जनजातीय गौरव दिवस” के उपलक्ष्य में आज मंगलवार को एक सफल वेबिनार का आयोजन किया गया।
वेबिनार की शुरुआत धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा को श्रद्धांजलि देते हुए हुई। प्रादेशिक लोक संपर्क ब्यूरो रांची के पंजीकृत दल, गुमला के संस्कार दीप की लीडर और झारखंड की मशहूर लोक गायिका श्रीमती सीमा देवी द्वारा धरती आबा पर एक गीत की प्रस्तुति के साथ कार्यक्रम प्रारंभ हुआ।
वेबिनार की अध्यक्षता करते हुए पत्र सूचना कार्यालय रांची एवं प्रादेशिक लोक संपर्क ब्यूरो रांची के अपर महानिदेशक श्री अरिमर्दन सिंह ने शामिल अतिथियों एवं श्रोतागणों का स्वागत करते हुए कहा कि देश की आजादी में अहम योगदान और अपने प्राणों की आहुति देकर धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा ने खूंटी की माटी को अमर कर दिया और पूरे देश में एक महान क्रांतिकारी के रूप में जाने गए। उनके जन्मदिन को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाने का निर्णय भारत सरकार ने लिया है। इसी क्रम में कल उनके पैतृक आवास उलीहातू, खूंटी में केंद्रीय मंत्री श्री अर्जुन मुंडा एवं श्री जी. किशन रेड्डी ने उनके वंशजों से मुलाकात किया और उनकी प्रतिमा पर वहां माल्यार्पण भी किया तथा उनके जन्म स्थल पर पूजा अर्चन भी की। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार ने भारतीय इतिहास और संस्कृति में जनजातियों के विशेष स्थान और योगदान को सम्मानित करने व पीढ़ियों को इस सांस्कृतिक विरासत और राष्ट्रीय गौरव के संरक्षण के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से भगवान बिरसा मुंडा की जयंती 15 नवंबर को “जनजातीय गौरव दिवस” घोषित करने का निर्णय लिया है। इसके अंतर्गत आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों को सम्मान देने के लिए 15 से 22 नवंबर तक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। इसी क्रम में पीआईबी आरओबी रांची, एफओबी गुमला द्वारा इस वेबिनार का आयोजन किया जा रहा है।
वेबिनार की परिचर्चा में विषय प्रवेश कराते हुए क्षेत्रीय प्रचार अधिकारी श्रीमती महविश रहमान ने कहा कि जनजातीय गौरव दिवस हर साल मनाया जाएगा ताकि आने वाली पीढ़ियां देश के प्रति उनके त्याग, संघर्ष व बलिदानों के बारे में जान सकें। कल रांची में जनजातीय स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा ऑनलाइन किया गया जहां भगवान बिरसा मुंडा ने अपनी अंतिम सांस ली थी। भगवान बिरसा मुंडा के साथ, संग्रहालय शहीद बुधु भगत, सिद्धू-कान्हू, नीलांबर-पीतांबर, दिवा-किसुन, तेलंगा खड़िया, गया मुंडा, जात्रा भगत, पोटो एच, भगीरथ मांझी, गंगा नारायण सिंह जैसे विभिन्न आंदोलनों से जुड़े अन्य जनजातीय स्वतंत्रता सेनानियों को भी रेखांकित करेगा।
मुख्य अतिथि माननीय सांसद, राज्यसभा, श्री समीर उरांव ने धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा के शौर्य और बलिदान पर बात की और साथ ही देश के स्वतंत्रता आंदोलन में जनजातियों के योगदान पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि आजादी के 75 वर्ष के उपलक्ष्य में चल रहे अमृत महोत्सव के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा जनजातीय गौरव दिवस की घोषणा करना अत्यंत ही सुखद समाचार है। इससे हम देश के जनजातीय वीरों और वीरांगनाओं की महती भूमिका को याद कर सकेंगे जिन्होंने देश की आजादी के लिए अदम्य साहस दिखाया और देश के लिए अपने प्राणों की आहुति दी। हमने देखा कि कल कैसे देशभर के जनजातीय समुदायों ने पूरे जोश और उत्साह के साथ जनजातीय गौरव दिवस मनाया।
उन्होंने कहा कि अगर हम बिरसा मुंडा की बात करें तो उनका परिवार गरीबी के कारण उनके बचपन में ही ईसाई धर्म अपना चुका था। इसके बाद वह पढ़ने के लिए लूथरन स्कूल में भी गए जहां उन्हें पाश्चात्य शिक्षा दी गई लेकिन वह उन्हें रास नहीं आया। वे कहते थे ‘टोपी टोपी एक टोपी’ यानी सब मिले हुए हैं। उनके पास जब कोई बीमार आदिवासी पहुंचता था तो वह उसके लिए महादेव भगवान से प्रार्थना भी करते थे जिससे कई की बीमारियां दूर हो जाती थी इसके बाद से आसपास के लोग उन्हें भगवान कहने लगे।
अगर हम देखें तो 1857 की क्रांति से पहले झारखंड के तिलका मांझी ने पहाड़िया जनजातियों के साथ मिलकर संथाल के जंगलों में अंग्रेजों से लड़ाई लड़ी थी। इसी प्रकार 1912 में जतरा टाना भगत ने भी अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ी और सिद्धू-कानू ने 1855 में अंग्रेजों से संघर्ष किया। वीर बुधु भगत ने अंग्रेजों से लड़ाई लड़ी और वह कहते थे कि मुझे कोई जिंदा नहीं पकड़ सकता। जब वह चारों तरफ से घिर गए तब उन्होंने अपने हाथ से ही अपना सर काट लिया था और जहां पर वह शहीद हुए उस जगह को टोपा ताड़ कहते हैं जहां पर आज एक बहुत ही प्रसिद्ध मेला लगता है। झारखंड में हुए इन विभिन्न स्वतंत्रता के संघर्षों को इतिहास की किताब में विद्रोह लिखा गया है। मेरा मानना है कि यह ठीक नहीं है बल्कि यह आजादी के लिए संघर्ष ही था।
विशिष्ट अतिथि के रूप में राजनेता व प्रसिद्ध लेखक श्री तुहिन ए. सिन्हा ने भगवान बिरसा मुंडा की जीवनी पर वक्तव्य दिया। साथ ही उन्होंने अपनी आगामी पुस्तक “द लेजेंड ऑफ बिरसा मुंडा” पर भी चर्चा की और उसका वीडियो भी दर्शकों को दिखाया गया।
उन्होंने कहा कि वे खुद झारखंड में ही पले बढ़े हैं, इसीलिए उन्हें बिरसा मुंडा के बारे में बचपन से ही पता था। लेकिन हम देखें तो बिरसा मुंडा के बारे में सुनने को ही ज्यादा मिलता था जैसे हमारे जमशेदपुर में बिरसानगर है, या रांची में बिरसा हवाई अड्डा है लेकिन पढ़ने को उनके ऊपर ज्यादा कुछ नहीं मिलता है। अगर हम उनके बचपन में जाएं तो उनके परिवार ने गरीबी के कारण ईसाई धर्म को धारण किया था लेकिन उन्हें मिशनरी स्कूल में अच्छा नहीं लगा और वह वापस अपने गांव आ गए और लोक समाज, संस्कृति बचाने के लिए आंदोलन का रास्ता चुना। 1894-95 में उनकी लोकप्रियता में काफी उछाल आया, इसे देखकर अंग्रेजी शासन डर गया था और उन्हें जेल भी जाना पड़ा फिर वह 1897 में जेल से बाहर आए थे। जेल से बाहर आने के बाद भी उन्हें लगा कि विदेशी ताकतों द्वारा झारखंड की जल, जंगल, जमीन तथा संस्कृति पर लगातार हमले किए जा रहे हैं, जिसका उन्होंने आंदोलन के जरिए जबरदस्त विरोध किया। उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में उन्हें उम्मीद है कि बिरसा मुंडा, तिलकामांझी, रानी गाइडेनल्यू जैसे जनजातीय समुदाय के स्वतंत्रता सेनानियों को भी वही पहचान मिलेगी जो आज मुख्यधारा के स्वतंत्रता सेनानी जैसे सुभाष चंद्र बोस, सरदार पटेल या अंबेडकर, आदि को प्राप्त है।
ई प्रमाण पत्र का प्रदान
वेबिनार के सभी प्रतिभागियों द्वारा फीडबैक फॉर्म भरवाए गए और सभी को ई-सर्टिफिकेट दिया गया।
यूट्यूब पर प्रसारण
वेबिनार का लाइव प्रसारण यूट्यूब पर भी किया गया।
वेबिनार का समन्वय एवं संचालन फील्ड पब्लिसिटी ऑफिसर श्रीमती महविश रहमान द्वारा किया गया। फील्ड पब्लिसिटी ऑफिसर श्री शाहिद रहमान और श्री ओंकार नाथ पाण्डेय ने सहयोग दिया। वेबिनार में प्रोफेसर, विशेषज्ञ, विद्यार्थी, एनसीसी कैडेट्स, पीआईबी, आरओबी, एफओबी, दूरदर्शन एवं आकाशवाणी झारखंड व अन्य राज्यों के अधिकारी – कर्मचारियों ने भी हिस्सा लिया। गीत एवं नाटक विभाग के अंतर्गत कलाकार एवं सदस्य, आकाशवाणी के पीटीसी, दूरदर्शन के स्ट्रिंगर तथा संपादक और पत्रकार भी शामिल हुए।