गिरिडीह। झारखंड पुलिस में आरक्षी पद पर नियुक्ति किये जाने की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे सहायक पुलिसकर्मी शुक्रवार को पैदल ही रांची के लिए निकले पड़े तो रास्ते में ही डीएसपी बिनोद रवानी, संतोष कुमार मिश्र, इंस्पेक्टर आदिकांत महतो, रत्नेश मोहन ठाकुर समेत पुलिस के अन्य अधिकारियों ने इन्हें रोक दिया।इसके बाद सहायक पुलिसकर्मी सड़क पर जा बैठे तो एसपी अमित रेणु भी वहां पहुंचे। एसपी भी सड़क पर बैठकर सहायक पुलिसकर्मियों से वार्ता की। एसपी ने सहायक पुलिस कर्मियों को समझाया और भरोसा दिया कि उनकी हर बातों को सुना जायेगा। तमाम मांगे वरीय अधिकारियों तक भी पहुंचायी जायेगी, जो भी समस्या है वे उनके पास आकर रखे। एसपी के समझाने के बाद सहायक पुलिसकर्मी वापस पुलिस लाइन पहुंचे। यहां पुलिस लाइन में भी एसपी ने इनसे एक बार फिर वार्ता की।
गौरतलब है कि आंदोलनरत सहायक पुलिसकर्मी शुक्रवार की सुबह पैदल ही रांची के लिए निकले थे। इन कर्मियों में से कई महिला कर्मि अपने बच्चे के साथ शामिल थी। सहायक पुलिस कर्मियों का कहना है कि गृह कारा एवं आपदा प्रबंधन विभाग झारखंड, रांची और पुलिस महानिरीक्षक (कार्मिक) की ओर से निर्गत आदेश के आलोक में राज्य के बारह अतिनक्सल प्रभावित जिलों में 25 सौ सहायक पुलिस कर्मियों की नियुक्ति तीन वर्ष के लिए की गई है, जिसका मानदेय मात्र 10 हजार रुपए है। नियुक्ति के बाद उस वक्त की रघुवर सरकार ने कहा था कि तीन वर्ष सेवा होने के बाद सहायक पुलिस कर्मियों को झारखंड पुलिस में आरक्षी के पद पर सीधी नियुक्ति कर दी जाएगी, इसका विज्ञापन में भी उल्लेख है। इसके बाद भी वर्तमान झारखंड सरकार का रवैया सहायक पुलिस कर्मियों के प्रति काफी उदासीन है। कर्मियों ने बताया कि काला बिल्ला लगाकर काम करने और हड़ताल में जाने के बाद भी सरकार ने उनकी ओर ध्यान नहीं दिया है। तब विवस होकर आंदोलन के तहत मुख्यमंत्री आवास का घेराव करने के लिए वे लोग रची के लिए निकले थे।