सरकार चाहे तो बड़े आराम से पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी में 8.5 रुपये प्रति लीटर तक की कटौती कर सकती है| गौरतलब है कि देश में पेट्रोल-डीजल की कीमतें ऊंचाई पर चल रही हैं सबसे प्रमुख बात यह है कि इस कीमत में बड़ा हिस्सा टैक्स का ही होता है| पेट्रोल में करीब 60 फीसदी और डीजल में करीब 54 फीसदी हिस्सा केंद्र और राज्यों के टैक्सेज का ही है, उदाहरण के लिए दिल्ली वासी करीब 91 रुपये प्रति लीटर का जो पेट्रोल खरीद रहे हैं उसमें करीब 54 रुपये टैक्स का ही है. केंद्र सरकार इस पर एक्साइज ड्यूटी यानी उत्पाद शुल्क लगाती है, जबकि राज्य सरकारें वैट या बिक्री कर लगाती हैं|
हो रहा विचार!
अब हर तरफ से यह आवाज उठने लगी है कि सरकार पेट्रोल-डीजल पर टैक्स घटाए हाल में रॉयटर्स की एक रिपोर्ट में वित्त मंत्रालय के सूत्रों के हवाले से यह दावा किया गया था कि सरकार इस पर विचार भी कर रही है और 15 मार्च के बाद कोई निर्णय लिया जा सकता है.
रिपोर्ट की बातें!
आईसीआईसीआई सिक्युरिटीज ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है, ‘हमारा अनुमान है कि वित्त वर्ष 2021-22 में वाहन ईंधन पर यदि एक्साइज ड्यूटी में कोई कटौती नहीं की जाती है तो इसका संग्रह 4.35 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच जाएगा, जबकि बजट अनुमान 3.2 लाख करोड़ रुपये का है इस हिसाब से यदि एक अप्रैल 2021 को अथवा इससे पहले उत्पाद शुल्क में 8.5 रुपये प्रति लीटर की भी कटौती की जाती है तो अगले वित्त वर्ष के बजट अनुमान को हासिल कर लिया जाएगा| ICICI सिक्युरिटीज ने उम्मीद जताई है कि मांग में सुधार आने, निजीकरण को बढ़ावा दिये जाने और महंगाई को लेकर बढ़ती चिंता के बीच एक्साइज ड्यूटी में कटौती की उम्मीद है, लेकिन यह कटौती 8.5 रुपये प्रति लीटर से कम रह सकती है|