नई दिल्ली: इस महीने की शुरुआत में विधानसभा चुनाव के नतीजे घोषित होने के बाद राज्य में कथित हिंसा के कारण विस्थापित हुए लोगों के लिए मानवीय राहत की मांग करने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को पश्चिम बंगाल सरकार को नोटिस जारी किया।
जस्टिस विनीत सरन और बीआर गवई की बेंच ने अरुण मुखर्जी नाम के एक सामाजिक कार्यकर्ता और चार अन्य की याचिका के आधार पर नोटिस जारी किया।
शीर्ष अदालत ने भारतीय राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग , राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग, राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग, राष्ट्रीय महिला आयोग और राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग को याचिका में पक्षकार बनाए जाने की अनुमति दी, जिसकी सुनवाई अगले 7 जून को होगी। याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता पिंकी आनंद के अनुरोध के आधार पर अधिकार निकायों को मामले में पक्ष के रूप में जोड़ा गया है, क्योंकि उन्होंने हिंसा के कारण महिलाओं और बच्चों को हुए नुकसान पर रिपोर्ट तैयार की है।
बता दें कि हिंसा का शिकार कुछ लोग और सामाजिक कार्यकताओ की ओर से दायर अर्जी में कहा गया था कि TMC की जीत के बाद बंगाल से करीब 1 लाख लोगों को पलायन करना पड़ा। उनकी संपत्ति को नुकसान और महिलाओं के साथ यौन हिंसा हो रही है।
वहीं पश्चिम बंगाल हिंसा में मारे गए BJP कार्यकर्ता अविजीत सरकार और हरन अधिकारी के परिवार की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने कोर्ट को बताया कि दोनों मामलों में FIR दर्ज कर 3-3 लोग गिरफ्तारी किए हैं। कलकत्ता हाईकोर्ट भी हिंसा के मामलों पर सुनवाई कर रहा है। जिसपर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार लिखित जवाब दाखिल करें, 2 हफ्ते बाद सुनवाई होगी।