नई दिल्ली। सरकार अगले 8-10 दिनों में फ्लेक्स फ्यूल इंजन पर बड़ा फैसला लेने जा रही है. ऐसे इंजन को ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री के लिए अनिवार्य बनाया जाएगा. फ्लेक्स फ्यूल का मतलब हुआ Flexible Fuel, यानी ऐसा ईंधन जो पेट्रोल की जगह ले और वो है एथनॉल.
सड़क और परिवहन मंत्री नितिन गडकरी का कहना है कि इस वैकल्पिक ईंधन की कीमत 60-62 रुपये प्रति लीटर होगी, जबकि पेट्रोल की कीमत 100 रुपये प्रति लीटर से भी ज्यादा है. इसलिए एथनॉल के इस्तेमाल से देश के लोग प्रति लीटर 30-35 रुपये की बचत कर पाएंगे.
नितिन गडकरी ने बताया कि ब्राजील, कनाडा और अमेरिका में ऑटोमोबाइल कंपनियां फ्लेक्स फ्यूल ईंधन का उत्पादन कर रहे हैं.
ट्रांसपोर्ट मिनिस्टर गडकरी का कहना है कि एथनॉल, पेट्रोल से कहीं बेहतर बेहतर ईंधन है और यह कम लागत वाला, प्रदूषण मुक्त और स्वेदशी है. यह भारतीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने वाला कदम है क्योंकि हमारे देश में मकई, चीनी और गेहूं सरप्लस है, इनको खाद्यान्नों में रखने के लिए हमारे पास जगह नहीं है.
यह देखते हुए कि खाद्यान्न का सरप्लस समस्या पैदा कर रहा है, हमारी फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) अंतरराष्ट्रीय कीमतों और घरेलू बाजार की कीमतों से अधिक है, इसलिए सरकार ने निर्णय लिया है कि खाद्यान्न और गन्ने का उपयोग करके एथनॉल का जूस बना सकते हैं.
हाल ही में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि प्रदूषण में कटौती और इंपोर्ट पर निर्भरता को कम करने के लिए पेट्रोल के साथ 20 परसेंट एथनॉल ब्लेंडिंग को हासिल करने का लक्ष्य 2025 कर दिया गया है. सरकार ने पिछले साल 2022 तक पेट्रोल में 10 परसेंट एथनॉल ब्लेंडिंग और 2030 तक 20 फीसदी डोपिंग करने का लक्ष्य रखा था.