नई दिल्ली। भाई-बहन के प्यार का प्रतीक रक्षा बंधन का त्योहार रविवार, 22 अगस्त को मनाया जाएगा. ज्योतिषविदों की मानें तो रक्षा बंधन त्योहार इस बार बेहद खास होने वाला है. रक्षा बंधन पर इस बार भद्रा का साया नहीं होगा यानी पूरे दिन राखी बांधी जा सकेगी. साथी ही दो शुभ संयोग भी बन रहे हैं.
ज्योतिषियों का कहना है कि रक्षा बंधन पर इस बार सुबह 5 बजकर 50 मिनट से लेकर शाम 6 बजकर 03 मिनट तक किसी भी वक्त राखी बांधी जा सकेगी. बता दें कि रक्षा बंधन पर भद्रा के साए में राखी नहीं बांधी जाती है जैसा कि इस बार नहीं होगा. आइए आपको रक्षा बंधन पर बन रहे इन शुभ संयोगों का महत्व बताते हैं.
शोभन योग– ज्योतिषविदों के मुताबिक, रक्षा बंधन के दिन सुबह 10 बजकर 34 मिनट तक शोभन योग बना रहेगा. मांगलिक और शुभ कार्यों को संपन्न करने के लिए शोभन योग को श्रेष्ठ माना जाता है. इस दौरान भाई की कलाई पर रक्षा सूत्रा बांधना ज्यादा शुभ और फलदायी हो सकता है.
धनिष्ठा नक्षत्र– रक्षा बंधन पर दूसरा शुभ धनिष्ठा नक्षत्र से जुड़ा हुआ है. 22 अगस्त को धनिष्ठा नक्षत्र शाम 7 बजकर 40 मिनट तक है. मंगल ग्रह धनिष्ठा नक्षत्र का स्वामी है. ऐसा कहते है कि धनिष्ठा नक्षत्र में जन्मे लोग अपने भाई-बहन से बहुत प्रेम करते हैं. इसलिए इस शुभ अवसर में भाई को राखी बांधने से दोनों के बीच अटूट प्रेम और ज्यादा गहरा होगा.
इसके अलावा सुबह 9 बजकर 34 मिनट से 11 बजकर 07 मिनट तक अमृत मुहूर्त रहेगा और दोपहर 12 बजकर 04 मिनट से 12 बजकर 58 मिनट तक अभिजीत मुहूर्त रहेगी. इस शुभ पहर में भी आप भाई की राखी बांध सकती हैं.
रक्षा बंधन पर इस बार राखी बांधने के लिए 12 घंटे 13 मिनट की शुभ अवधि रहेगी. आप सुबह 5.50 से लेकर शाम 6.03 तक किसी भी वक्त रक्षा बंधन मना सकते हैं. वहीं भद्रा काल 23 अगस्त को सुबह 5 बजकर 34 मिनट से 6 बजकर 12 मिनट तक रहेगा.
क्यों नहीं बांधते भद्रा में राखी– हिंदू धर्म की मान्यताओं के मुताबिक, भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र शुभ मुहूर्त देखकर ही बांधना चाहिए. इस दिन राहुकाल और भद्रा के समय राखी बांधने से बचना चाहिए.
कहते हैं कि भद्रा काल में राखी ना बांधने की वजह लंकापति रावण से जुड़ी है. कहते हैं कि रावण ने भद्राकाल में ही अपनी बहन से राखी बंधवाई. इस घटना के एक वर्ष बाद ही रावण का विनाश हो गया था.
कैसा होना चाहिए रक्षा सूत्र– रक्षासूत्र तीन धागों का होना चाहिए. लाल पीला और सफेद. अन्यथा लाल और पीला धागा तो होना ही चाहिए. रक्षासूत्र में चन्दन लगा हो तो बेहद शुभ होगा. कुछ न होने पर कलावा भी श्रद्धा पूर्वक बांध सकते हैं.