खूँटी (स्वदेश टुडे)। जिले के कर्रा थाना अंतर्गत कई गांवों की कुंवारी कन्याएँ करती है जितिया व्रत। हालांकि जितिया व्रत को सभी जगह महिलाएँ अपने बाल बच्चों की निरोग और सुखी और कुशलता के लिए जिवित्पुत्रिका व्रत के रुप में मनाती हैं , पर खूँटी जिले के कर्रा प्रखण्ड अन्तर्गत कुछ गांवों में कुंवारी लड़कियां जितिया पर्व पर उपवास रखती है। ये परम्परा केवल कुछ ही गांवों में पाहन परिवारों की प्रथा रही है। जहां लोग ये प्रथा के अनुसार कुवांरी कन्याएं पूजा करती है।
इन गांवों में इसे कर्मा पूजा के रुप में करती है। इसमें एक गुफू पहाड़टोली गांव में एक स्थान में पीपल पेड़ की डाली से पूजा की जाती है और गांव के कई जगहों में करमा की डाली लाकर कुंवारी कन्याएँ पूजा करती है। इन गांवों में लड़कियाँ करमा पर्व के दिन नहीं बल्कि जितिया के दिन ही कर्मा पर्व मनाते हैं। इसके लिए गांव के लोग आज करम पेड़ का डाली लाकर पूजा करेंगे। पहाड़टोली के उपेन्द्र पाहन बतलाए कि ये प्रथा पाहन परिवार में ही केवल होता है। जो कि गांव की कुंवारी कन्या जावा रखकर भाई के लिए तथा सुख समृद्धि के लिए पूजा करती है। जिसमें वे सभी पूरे सादगी के साथ आठ दिनों तक रहती है। यहां तक की हल्दी मसाला का भी सेवन नहीं करती है। और करमा पुजा करती है। ये प्रथा के बारे पूछे जाने पर बताया कि यह परम्परा सदियों से इन पाहन परिवारों में चलते आ रहा है। जिसे आज भी उसी रूप में मनाते आ रहे हैं। ये प्रथा इसी कर्रा प्रखण्ड के कसीरा , डुमरगड़ी, बुढ़ीमा, पलसा, बमरजा गांवों में ही होता है। जहां गांव में ही जगह जगह पाहन कुआंरी कन्याओं के उपासना मंत्र से पूजा कराते हैं। हालांकि पाहन अपने एक जगह पूजा करते हैं। लेकिन कई विभिन्न जगहों में कई लड़कियों का समुह एक साथ पूजा करती है।
गांव का मुख्य पुजारी काण्डे पाहन ने बतलाया कि ये बहुत पहले से ये परम्परा चलते आ है। कि कुंवारी लड़की ही पूजा करती है। उन्होंने बताया कि पहले वो रंगुवा मुर्गी की बलि देकर पूजा की शुरुआत करते हैं। फिर करम की डाली पर लड़कियों को पूजा करने के लिए कहते हैं। तभी सभी लड़कियां पूजा आरम्भ करती है।
गांव की रेखा कुमारी बतलाई कि वो भी अपने भाई के लिए उपवास रखी है। इसकी पूजा की तैयारी के लिए आठ दिन पहले से जावा रखकर प्रति दिन उसकी पूजा करते हुए आज उपवास रखकर पूजा करेगी।