काबुल। तालिबान शासित अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में रविवार को मस्जिद के बाहर हुए बम धमाके में पांच लोगों की मौत हो गई। यह विस्फोट उस समय हुआ जब मस्जिद में सत्तारूढ़ तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्ला मुजाहिद की मां की मौत के बाद नमाज पढ़ी जा रही थी। मामले में तीन संदिग्धों को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है।
घटना काबुल की ईदगाह मस्जिद के बाहर की है। धमाका के बाद जबीउल्ला ने ट्वीट कर घटना में निर्दोष नागरिकों के मारे जाने की जानकारी दी। विस्फोट में तालिबान के किसी नेता या लड़ाके को नुकसान नहीं हुआ है। पांच नागरिकों के मारे जाने की पुष्टि तालिबान सरकार के गृह मंत्रालय ने की है। इटली सरकार के सहयोग से काबुल में चल रहे अस्पताल ने चार घायलों के भर्ती होने की पुष्टि की है।
घटना के बाद आसपास का इलाका तालिबान ने घेर लिया और आमजन का आवागमन बंद करा दिया है। लेकिन कुछ घंटों बाद घटनास्थल को पूरी तरह से साफ कर दिया गया। विस्फोट से मस्जिद के प्रवेश द्वार को मामूली नुकसान हुआ है। 15 अगस्त को काबुल पर तालिबान का कब्जा होने के बाद से अफगानिस्तान में आतंकी संगठन आइएस के लगातार हमले हो रहे हैं। सबसे बड़ा हमला 26 अगस्त काबुल एयरपोर्ट के नजदीक हुआ था।
बता दें कि उस हमले में 169 अफगान और 13 अमेरिकी सैन्यकर्मी मारे गए थे। अफगानिस्तान की सत्ता पर तालिबान की वापसी के बाद से आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट के आतंकवादियों के हमले बढ़ गए हैं। अधिकांश हमले तालिबान लड़ाकों को निशाना बनाकर किए गए हैं। हाल के दिनों में हुए इन आतंकी हमलों ने दोनों चरमपंथी समूहों तालिबान और इस्लामिक स्टेटे के बीच व्यापक टकराव की संभावना को बढ़ा दिया है।
अफगानिस्तान के पूर्वी प्रांत नंगरहार में इस्लामिक स्टेट काफी मजबूत है। यह तालिबान को अपना कट्टर दुश्मन मानता है। इस्लामिक स्टेट ने तालिबान के खिलाफ कई हमलों का दावा किया है। अब तक इस्लामिक स्टेट हमलों का केंद्र प्रांतीय राजधानी जलालाबाद थी। जलालाबाद में इस्लामिक स्टेट की ओर से कई हमले किए जा चुके हैं जिनमें बड़ी संख्या में लोगों की मौतें हुई हैं।
असल में तालिबान की वापसी के बाद अफगानिस्तान में हालात और खराब हो गए हैं। हाल ही में पाकिस्तान में मौजूद संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी की हाई कमिश्नर फिलिपो ग्रांडी ने कहा था कि अफगानिस्तान में मानवीय स्थितियां बहुत ही खराब हैं और अंतरराष्ट्रीय समुदाय को तत्काल मदद के लिए आगे आना चाहिए। आलम यह है कि अफगानिस्तान की आर्थिक व्यवस्था ध्वस्त हो गई है। लोग रोजी रोटी के संकट से जूझ रहे हैं।