सूत्रों का कहना है कि कोल इंडिया ने पिछले 4 दिनों में 1.57 मिलियन टन से 1.94 मिलियन टन प्रति दिन उत्पादन बढ़ाया है और इसे और बढ़ाया जाएगा. अगले सप्ताह तक इसके 2 मिलियन टन प्रति दिन तक पहुंचने की उम्मीद है.
कुछ बिजली संयंत्रों में स्टॉक की कमी, जो imported coals कोयले पर निर्भर थे उन्होंने अंतरराष्ट्रीय बाजार में कोयले की कीमतों के तीन गुना होने के कारण आयात को कम कर दिया था और केंद्र से अधिक आपूर्ति पर जोर देना शुरू कर दिया था. इससे कोयले के आयात में 12 फीसदी की गिरावट आई है.
एक सीमा से अधिक भंडार नहीं हो सकता
सूत्रों के मुताबिक, कोल इंडिया के पास एक सीमा से अधिक कोयले का भंडार नहीं हो सकता था क्योंकि हमेशा आग लगने का खतरा रहता है. इसलिए राज्यों को कोल इंडिया से अपना कोटा उठाकर स्थानीय स्तर पर स्टॉक करना चाहिए था. रिमांइडर के बावजूद भी ऐसा नहीं हुआ. जब मांग और खपत बढ़ रही थी तो राज्य प्रतिक्रिया देने में विफल रहे.
₹21000 करोड़ बकाया
राज्यों को कोल इंडिया को लगभग ₹21000 करोड़ के बकाया का भुगतान करना है. महाराष्ट्र को 2600 करोड़, तमिलनाडु को 1100 करोड़, बंगाल को 2000 करोड़, दिल्ली को 278 करोड़, पंजाब को 1200 करोड़ एमपी को 1000 करोड़ और कर्नाटक को 23 करोड़ रुपये कोल इंडिया को देने हैं.