बोकारो। जिला मुख्यालय से करीब 40 किलोमीटर दूर दामोदर नदी तट किनारे बसा पेटरवार प्रखंड की महिलाएं लेमन ग्रास की खेती के सहारे अपने सपनों को साकार करने में जुटी हैं। कल तक अपनी रोजी-रोटी के लिए परेशान रहने वाली महिलाओं ने बंजर जमीन पर लेमन ग्रास की खेती से करीब 3.5 लाख रुपये की आमदनी कर मिसाल कायम की है।
पेटरवार प्रखंड की ग्रामीण महिलाएं इनदिनों चर्चा में है। जोहार परियोजना संपोषित योजना के माध्यम से महिलाओं ने लेमन ग्रास की खेती शुरू की। वर्ष 2020 में खरीफ मौसम में लगभग चार उत्पादक समूहों द्वारा पहली बार पेटरवार प्रखंड क्षेत्र में लेमन ग्रास की खेती आरंभ की गई थी। अच्छी आमदनी होने पर यह कांरवा बढ़ता जा रहा है। खरीफ 2021 में पेटरवार प्रखंड अंतर्गत दस महिला उत्पादक समूहों के 140 महिला किसानों ने कुल 28 एकड़ में लेमन ग्रास की खेती शुरू की है।
खेती की शुरुआत में कई लोगों ने इनको पैसे डूबने को लेकर डराया भी लेकिन उत्पादक समूह की इन महिलाओं ने हार नहीं मानी। आज इनके लेमन ग्रास के लहलहाते खेत और उनके चेहरे की मुस्कान शून्य से शिखर की कहानी बयां कर रही है। लेमन ग्रास की खेती कम उपजाऊ जमीन एवं बंजर भूमि में भी आसानी से की जाती है। एक बार पौधा लगाने के बाद पांच वर्षों तक प्रति वर्ष 4 से 5 बार इसकी पत्तियों की कटाई एवं बिक्री कर मुनाफा कमाया जा सकता है।
पिछले वर्ष खेती करने वाले चार उत्पादक समूहों द्वारा इस बार 10 उत्पादक समूहों को लेमन ग्रास (निम्बू घास) का पौधा बिक्री किया गया है। इससे महिला किसानों ने लगभग 3.5 लाख रुपये की आमदनी की है।लेमन ग्रास अथवा नींबू घास का महत्व उसकी सुगंधित पत्तियों के कारण है। पत्तियों से वाष्प आसवन द्वारा तेल प्राप्त होता है। इसका इस्तेमाल कॉस्मेटिक्स, सौंदर्य प्रसाधन, साबुन, कीटनाशक एवं दवाओं में होता है। एंटीऑक्सिडेंट के रूप में ही लेमन ग्रास का काफी महत्व है। इस जोहार परियोजना के तहत जिले में अबतक 340 महिला किसानों को लेमन ग्रास की खेती से जोड़ा गया है।
किसानों को तकनीकी सहयोग और सुझाव देने के लिए वनोपज मित्र को प्रशिक्षित किया गया है, जो इन किसानों को लगातार प्रशिक्षण एवं अन्य सलाह ग्रामीण स्तर पर देते हैं। लेमन ग्रास की खेती करने वाली महिला ने बताया कि उत्पादक समूह से जुड़कर हमलोगों ने जाना कि कैसे सामूहिक खेती और सामूहिक बिक्री कर मुनाफा बढ़ाया जा सकता है। उत्पादक समूह में चर्चा एवं प्रशिक्षण के बाद ही हमने लेमनग्रास की खेती करने को सोची। इस खेती का सबसे बड़ा फायदा है कि एक बार फसल लगाने के पांच साल बाद तक दोबारा लगाने की जरूरत नहीं है और हर साल कमाई होती है।
क्या कहते हैं उपायुक्त कुलदीप चौधरी
इस संबंध में उपायुक्त कुलदीप चौधरी ने कहा कि ग्रामीण विकास विभाग अंतर्गत झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी जिले में जोहार परियोजना का क्रियान्वयन कर रही है। इसके जरिये ग्रामीण महिलाओं को उत्पादक समूह के सहारे उन्नत खेती से जोड़ा जा रहा है। लोग पारंपरिक खेती से हटकर वनोपज का मूल्यवर्धन कर अपनी आय में वृद्धि कर रहे हैं। जमीन होते हुए भी जो महिला किसान खेती करने में असक्षम थे, वह अब तकनीकी प्रशिक्षण एवं सहयोग लेकर लेमन ग्रास, सहजन, तुलसी जैसे पौधों की खेती कर अच्छा मुनाफा कमा रही हैं।