लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने हिन्दी साहित्य सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि समय आने पर हिन्दी राष्ट्र भाषा बन सकती है। राज्यपाल ने कहा कि देश में हिन्दी के लिए महत्वपूर्ण कार्य किए जा रहे हैं।
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इसे देश की तकनीकी और चिकित्सा शिक्षा से जोड़े जाने की जरूरत है। राज्यपाल ने राजभवन से प्रयागराज में आयोजित 73वें सम्मेेलन में बतौर मुख्य अतिथि ऑनलाइन प्रतिभाग किया।
आनंदीबेन पटेल ने कहा कि शिक्षक, शिक्षाविद् और शिक्षा जगत से जुड़े प्रबंधक सभी इस दिशा में साकारात्मक सोच के साथ प्रयास करें। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के रूप में एक अभूतपूर्व अवसर उपलब्ध हुआ है जिसका पालन कर देश और देश के युवाओं का भविष्य उज्ज्वल और सुरक्षित किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि स्वदेशी भाषाओं में शिक्षा और कामकाज को बढ़ावा मिलने से सभी भारतीय भाषाओं के बीच समन्वय स्थापित होगा। भाषाओं में सीधे आपसी अनुवाद को बढ़ाकर हम अपने बौद्धिक समाज को भी ताकत देंगे। पाठक साहित्य मातृभाषा में पढ़ना पसन्द करते हैं। सभी भाषाओं की पुस्तकों की जरूरत सभी भाषाओं में होगी।
सम्मेलन में पूर्व राज्यपाल पंडित केशरी नाथ त्रिपाठी ने हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाने की अपनी कामना के साथ इसकी समृद्धि के लिए इसके प्रयोग और प्रचलन को बढ़ावा देने पर जोर दिया। सम्मेलन की विशिष्ट अतिथि प्रो. रीता बहुगुणा जोशी ने हिन्दी साहित्य सम्मेलन, प्रयागराज द्वारा हिन्दी सेवा और करोड़ो लोगो को हिन्दी साहित्य से जोड़ने के लिए बधाई दी।
इस अवसर पर इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति डा. नागेश्वर राव तथा सम्मेलन के अध्यक्ष डा. सूर्य प्रसाद दीक्षित ने भी अपने विचार व्यक्त किए। समारोह में प्रयागराज की महापौर अभिलाषा गुप्ता, सम्मेलन के पदाधिकारीगण, हिन्दी के विद्धान एवं साहित्यकारों सहित बड़ी संख्या में हिन्दी प्रेमी उपस्थित थे।
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