वाराणसी। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ संदीप चौधरी ने लोगों को मलेरिया को लेकर आगाह किया है। कहा कि समय से जांच व इलाज न होने से मलेरिया जानलेवा हो सकता है। सीएमओ विश्व मलेरिया दिवस पर दुर्गाकुंड कबीरनगर स्थित अपने कार्यालय परिसर में जन जागरूक संगोष्ठी को सम्बोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि चार से आठ घंटे के चक्र में बुखार, सिरदर्द, शरीर दर्द, ठंड लगना, पसीना आना और मिचली व उल्टी जैसे लक्षण दिखें तो तुरंत आशा कार्यकर्ता या स्वास्थ्यकर्मी से सम्पर्क करें। उनकी मदद से प्रशिक्षित चिकित्सक को दिखा कर उनकी सलाह पर मलेरिया की जांच कराई जानी चाहिए । उन्होंने बताया कि मच्छरों से बचाव और लक्षण दिखने पर तुरंत जांच और इलाज मलेरिया से बचाव का बेहतर उपाय है। जिला स्तरीय अस्पतालों, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएची), प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) और हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर्स (एचडब्ल्यूसी) पर मलेरिया की जांच निःशुल्क है। उन्होंने बताया कि गर्भावस्था में मलेरिया का होना गर्भवती के साथ-साथ भ्रूण और नवजात के लिए भी खतरा है। यह बीमारी मादा मच्छर एनोफीलिज के काटने के कारण होती है। अगर मलेरिया का संक्रामक मच्छर काट लेता है तो स्वस्थ मनुष्य में 10 से 14 दिन बाद यह रोग विकसित होता है।
जिला मलेरिया अधिकारी एससी पांडेय ने बताया कि मलेरिया का मच्छर सामान्यतः शाम और सुबह के बीच काटता है। अगर किसी स्वस्थ व्यक्ति को मलेरिया का संक्रमित मच्छर काटता है तो वह स्वयं तो संक्रमित होगा ही, दूसरे को भी संक्रमित कर सकता है। संगोष्ठी में एसीएमओ वेक्टर बार्न डिजीज कंट्रोल प्रोग्राम डॉक्टर एस एस कनौजिया ने बताया कि जिला मलेरिया अधिकारी और मलेरिया निरीक्षकों की टीम जिले में मच्छरों के लार्वा को नष्ट करने के लिए सम्बंधित विभागों और सामुदायिक योगदान के जरिये अभियान में जुटे हुए हैं, लेकिन लोगों की सतर्कता अधिक आवश्यक है। खुली नालियों में मिट्टी का तेल डालें ताकि मच्छरों के लार्वा न पनपने पाएं, मच्छरों के काटने के समय शाम व रात को घरों और खिड़कियों के दरवाजे बंद कर लें। संगोष्ठी में जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ वीएस राय, जिला क्षय एवं कुष्ठ रोग अधिकारी डॉ राहुल सिंह, अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ एके मौर्य, वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी डॉ एके पांडे, डीएचईआईओ हरिवंश यादव, डीपीएम संतोष सिंह आदि स्वास्थ्य विभाग के अफसर मौजूद रहे।