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Ranchi : झारखंड ऊर्जा विकास श्रमिक संघ के केंद्रीय अध्यक्ष अजय राय काफी चिंतित हैं। उनकी चिंता का कारण है झारखंड ऊर्जा विकास निगम लिमिटेड में कर्मचारियों के हजारों पद। अजय राय का इल्जाम है कि निगम में अधिकारियों को लाभ पहुंचाने के लिए खेल खेला जा रहा है। निगम के द्वारा एक सोची समझी चाल के तहत खाली पदों को भरने की बजाय उच्च पदों का सृजन कर अपने चहेतों को प्रोमोशन देने का खेल धड़ल्ले से चल रहा है, जिससे निगम को भारी नुकसान होगा। इस बाबत अजय राय ने सूबे के CM हेमंत सोरेन के नाम ज्ञापन दिया है। अजय राय ने बताया कि झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड में व्याप्त अनियमितता और भ्रष्टाचार के मुद्दे की ओर CM हेमंत सोरेन का ध्यान दिलाना चाहता हूं, क्योंकि यह विभाग भी उन्हीं के अधीन है।
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इन मुद्दों को लेकर अजय राय ने CM के नाम लिखा ज्ञापन
- नीचे के स्तर के पदों पर 80% तृतीय एवं चतुर्थ वर्ग कर्मियों की कमी है, सारे पद रिक्त पड़े हैं। उनकी बहाली नहीं निकाली गई।
- बावजूद पैरवी और पैसों के बल पर सिर्फ निर्देशक, कार्यकारी निदेशक, महाप्रबंधक एवं उप महाप्रबंधक जैसे उच्च पद पर अपने चहेतों को ही प्रोमोशन देने को लेकर युद्ध स्तर पर काम चल रहा है।
- झारखंड राज्य विद्युत नियामक आयोग द्वारा भविष्य में संशोधित गाइडलाइन निर्गत किए जाने की अपेक्षा में 11 महाप्रबंधक और 19 उप महाप्रबंधक सीजीआरएफ के लिए नए पद सृजित किए गए जो बिल्कुल असंवैधानिक है। क्या भविष्य में संशोधित गाइडलाइन पर पद सृजित किए जा सकते हैं यह प्रश्न उठ खड़ा हुआ है।
- राजधानी रांची जहां एक सर्कल काफी है,वहां रांची-1,रांची-2, खूंटी तीन सर्कल बनाए गए। जहां खूंटी सर्किल का महाप्रबंधक कार्यालय गुमला में होगा निगम को काफी वित्तीय बोझ आएगा।
- वैसे ही गुमला,कोडरमा,साहेबगंज में नए जीऐम पद स्वीकृत किया गया। पाकुड़ एवं गोड्डा को भी नया सर्कल बनाया गया। झुमरी तिलैया बरहेट और अमरपाड़ा को अब डिवीजन बना दिया गया।
- बिना वित्तीय बोझ का आकलन किये बिना पदाधिकारी के कार्यालय का निर्माण किये आनन फानन में सारे पद स्वीकृत किए गए। जबकि प्रत्येक जगह पर कर्मचारी है ही नहीं।
- अगर एजेंसी के श्रमिक ना रहे तो विद्युत विभाग में महज सरकारी पदाधिकारी एवं कर्मचारी 20% ही कार्यरत है।
- पदाधिकारी को सुविधाएं देने के लिए बिजली के टैरिफ बेतहाशा महंगे किए जाने का प्रावधान लाया जा रहा है ।
- अनुषंगी कंपनियों में भी बिना आवश्यकता के ही उच्च पदों का सृजन किया जा रहा है।
- मानव बल आकलन एवं भर्ती योजना का पद पूर्णतया कार्मिक/प्रशासनिक के कार्य होते हैं। वही एक तकनीकी स्तर का पदाधिकारी उप महा प्रबंधक कार्मिक के पद पर, 5 वर्षों से पदस्थापित है जो कई तरह का का खेल करते हुए सारे करतूत को अंजाम दे रहा।
- उप महाप्रबंधक मानव संसाधन/ प्रशासन संवर्ग में नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए संवर्ग के उच्च पदों पर बाहर से नियुक्ति की व्यवस्था की गई विधि विभाग में बहाली कई वर्षों से लंबित है।
- निगम द्वारा महाप्रबंधक एवं उप महाप्रबंधक के स्वीकृत किए गए 65 पदों के स्थापना में बढ़ने वाले वित्तीय खर्च का आकलन नहीं किया गया है। अनुमानित इस पर 65 करोड़ के लगभग का निगम को अतिरिक्त बोझ आएगा।
- संघ मुख्यमंत्री से अनुरोध करता है कि इस मामले की उच्च स्तरीय जांच कराई जाए और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए। यह निगम की अनियमितता और भ्रष्टाचार को रोकने में मदद करेगा और निगम के कार्यों में पारदर्शिता और निष्पक्षता को बढ़ावा देगा।
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