बेगूसराय। आजादी के पूर्व और आजादी के बाद ही नहीं, राजा जनक के समय से चर्चित रहा बेगूसराय एक बार विश्व स्तर पर चर्चा में आ गया है। इस बार चर्चा कुछ और नहीं, बल्कि भारत के प्रथम नागरिक महामहिम राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा किए गए एक ट्वीट से हो रही है। बिहार विधानसभा के शताब्दी वर्ष समारोह में शामिल होने आए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने जब ट्वीट कर कहा कि छठ पूजा अब एक ग्लोबल फेस्टिवल बन चुका है। बेगूसराय से बोस्टन तक छठी मैया की पूजा बड़े पैमाने पर की जाती है। यह इस बात का प्रमाण है कि बिहार की संस्कृति ने विश्व स्तर पर अपना स्थान बनाया है। इसके बाद पूरा बेगूसराय झूम उठा है।
बेगूसराय के सांसद और केंद्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री गिरिराज सिंह, भाजपा मीडिया सेल के प्रदेश संयोजक बेगूसराय विधायक कुंदन कुमार, भाजपा जिलाध्यक्ष राज किशोर सिंह, लोजपा जिलाध्यक्ष प्रेम पासवान सहित हजारों लोगों ने इसके लिए आभार जताया है। लोगों ने कहा है कि बिहार के प्राचीन गौरव और महापर्व छठ पूजा तथा बेगूसराय को पूरे विश्व के पटल पर रखने और उसकी व्याख्या को विस्तृत वर्णन करने के लिए महामहिम का शुक्रिया। छठ पूजा की महानता और आस्था सबसे अलग है ये पूजा नहीं, स्वच्छ भारत का प्रतीक है, हमारी शक्ति का प्रतीक होती है। छठ के कारण ही हमलोग अपने संस्कृति संस्कार परंपरा और अपनी मातृभूमि से जुड़े रहते हैं, आपने बेगूसराय को जिस तरह से बोस्टन से जोड़ा है, इसे बेगूसरायवासी कभी भूल नहीं सकते हैं। आप बिहार आए तो कहीं की भी चर्चा कर सकते थे लेकिन जिस तरीके से बेगूसराय की चर्चा किया यह आपके आपार प्यार और स्नेह का प्रतीक है। यह हमारे साहित्यिक, सांस्कृतिक आध्यात्मिक तथा औद्योगिक पहचान को और मजबूती प्रदान करेगी। उल्लेखनीय है कि राष्ट्रपति बनने से पहले रामनाथ कोविंद का बेगूसराय से गहरा लगाव रहा है।
18 मई 2017 को राज्यपाल के रूप में बेगूसराय के मंझौल में आयोजित महोत्सव में शामिल होने के बाद इन्हें राष्ट्रपति चुन लिया गया। इससे लगाव और गहरा होता चला गया, इसके बाद राजभवन पटना से विदा होते समय इन्होंने अपनी प्यारी देसी गाय बेगूसराय के तेघड़ा में संचालित गौशाला को सौंप दिया तथा तभी से बेगूसराय की मिट्टी से जुड़ाव गहरा होता चला गया, इसका परिणाम ट्विटर पर दिखा। ट्वीट किए जाने के बाद तो सोशल मीडिया पर हर ओर बेगूसराय छा गया है। हालांकि राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की जन्मभूमि और बिहार केसरी डॉ. श्रीकृष्ण सिंह की कर्मभूमि बेगूसराय आजादी के पहले से ही हमेशा चर्चा में रहा है। पौराणिक काल में राजा जनक ने स्वयंवर के बाद माता सीता को यहीं के सिमरिया घाट से श्रीराम के साथ अयोध्या के लिए विदा किया था, इसके बाद उन्होंने यहीं यज्ञ भी किया। ऐतिहासिक काल की बात करें तो आजादी की लड़ाई में बेगू नामक शासक ने नामांकित बेगूसराय के सैकड़ों युवक ने शहादत दी। साहित्य सृजन के लिए राष्ट्रकवि के उपनाम से विभूषित रामधारी सिंह दिनकर की चर्चा भविष्य के साहित्य इतिहास में होती रहेगी। श्रीकृष्ण सिंह के प्रयास से आजाद भारत की पहली रिफाइनरी रूस के सहयोग से बनी तो दुनियाभर के इंजीनियर आते जाते रहे। इतिहासकार रामशरण शर्मा को कौन नहीं जानता है। देशभर में चर्चित आईएएस-आईपीएस देने वाले बेगूसराय ने अपने गोद में केंद्रीय गृह सचिव और बाद में राज्यपाल बने बीपी सिंह जैसे विभूति को जन्म दिया तथा रंगकर्म और खेल की नर्सरी तथा औद्योगिक राजधानी के रूप में आज भी जाना जाता है।