बेगूसराय। केंद्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री गिरिराज सिंह ने बिहार सरकार द्वारा कराए जाने वाले जातीय गणना का स्वागत करते हुए अल्पसंख्यकों की नीति पर पुनर्विचार करने की मांग किया है।
शुक्रवार को बेगूसराय में पत्रकारों से बात करते हुए गिरिराज सिंह ने कहा कि देश का दुर्भाग्य रहा कि आजादी के बाद कांग्रेस ने तुष्टीकरण की राजनीति शुरू कर दी। तुष्टीकरण की राजनीति करते-करते तुष्टीकरण इस हद तक चला गया कि हिंदुओं को सबसे अधिक नुकसान हुआ। लोगों ने हिंदुओं को खंडित-खंडित कर दिया, लेकिन अब बदलाव का समय आ गया है।
गिरिराज सिंह ने कहा कि बिहार में जातीय गणना का स्वागत है, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सर्वदलीय बैठक कर इसकी स्वीकृति दी, यह स्वागत योग्य कदम है। लेकिन मुख्यमंत्री ने मुसलमानों की भी जातीय गणना की जो बातें कही है वह सही तरीके से हो। 1991 में राजेन्द्र गुप्ता (वर्तमान विधान पार्षद) ने चुनाव आयोग से मांग किया था कि मतदाता सूची से अवैध लोगों का नाम हटाया जाए, बिहार के 14 जिलों में पैर जमाए बैठे बांग्लादेशियों का नाम हटाया जाए।
चुनाव आयोग ने उस आवेदन को गंभीरता से लेते हुए जांच का आदेश दिया, लाखों अवैध लोगों का नाम मतदाता सूची से हटाया गया था। इसके मद्देनजर एक कमेटी बने तथा उस समय मतदाता सूची से नाम हटाए गए लोगों के खानदान से जुड़े लोगों को जातीय गणना से बाहर किया जाए। मंत्री नीरज कुमार बबलू ने जो कहा है वह बिल्कुल सही कहा है, आज समय आ गया है कि तुष्टीकरण की राजनीति को कड़ा जवाब दिया जाए।
गिरिराज सिंह ने कहा कि देश और राज्य स्तर पर देखें तो विकास की गति से तीन गुना अधिक गति से जनसंख्या वृद्धि हो रही है। चीन में एक मिनट में दस बच्चे पैदा होते हैं, भारत में एक मिनट में 33 बच्चे पैदा हो रहे हैं। इसलिए भारत में जनसंख्या नियंत्रण के लिए कड़ा कानून बने और सभी राज्य इसमें अग्रणी भूमिका निभाएं। जनसंख्या नियंत्रण कानून हिंदू, मुसलमान, सिख, ईसाई, बौद्ध, क्रिश्चियन सभी पर सख्ती से लागू हो।
उन्होंने कहा कि जरूरत पड़े तो इस कानून का पालन नहीं करने वालों के मतदान का अधिकार (वोटिंग राइट) समाप्त कर दिया जाए। अब समय आ गया है कि अल्पसंख्यक, अल्पसंख्यक के सिद्धांत, अल्पसंख्यक के फार्मूला और अल्पसंख्यक के नीति पर पुनर्विचार हो, अल्पसंख्यक की परिभाषा नए सिरे से तय होनी चाहिए। मदनी ने साफ कहा है कि मुझे अल्पसंख्यक नहीं चाहिए, मैं भी कहता हूं कि मुझे नहीं चाहिए।
भारत सरकार सबका साथ, सबका विकास, सबका प्रयास और सबका विश्वास की नीति चल रही है। सरकार जो भी योजना बना रही है वह आयुष्मान भारत हो, आवास योजना हो या गरीब कल्याण योजना का लाभ सभी को मिल रहा है तो अल्पसंख्यकों की परिभाषा को अब तुरंत हटा देने की जरूरत है।