मुंबई। देश में कोरोना वायरस का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है। अकेले मुंबई में कोरना मरीजों का आंकड़ा 21 हजार पार कर चुका है। इस बीच बीएमसी के सामने एक नई मुसीबत सामने आ गई है। दरअसल टेस्टिंग के दौरान व्यक्ति का फोन नंबर और पता लिया जाता है, इनमें कुछ लोग अपनी सही डिटेल नहीं देते हैं या फिर टेस्टिंग लैब के कर्मियों से भी डिटेल भरते समय गलती हो जाती है। ऐसे में पॉजिटिव आए मरीज को ट्रेस करने में बहुत परेशानी होती है।
एडिश्नल कमिश्नर सुरेश काकानी ने मुंबई बताया कि 100 से भी ज्यादा कोरोना पॉजिटिव मरीज हैं जो लापता हैं। यह कई कारणों से होता है, लेकिन मुख्य तौर पर दर्ज किए गए मरीजों की गलत डिटेल देना है।
गलत नंबर और पता
चेंबूर, कुर्ला, मानखुर्द क्षेत्र के संयुक्त आयुक्त बी आर मराठे ने कहा, कोरना वायरस के बारे में कुछ लोगों के मन में एक डर है और यह उन्हें गलत पते और फोन नंबर देने के लिए प्रेरित करता है। जो लोग प्राइवेट लैब में जांच करवाते हैं, उन्हें दोपहर 3 बजे तक रिजल्ट के बारे में बता दिया जाता है। यह लिस्ट रात तक नागरिक प्रधान कार्यालय को भेज दी जाती है और अगली सुबह तक वार्ड लेवल पर आ जाती है। कई बार, यह उन लोगों को समय देता है जो अस्पताल में भर्ती होने के डर से भाग जाना चाहते हैं। जब ऐसे कोरना पॉजिटिव मरीज लापता हो जाते हैं और शहर में घूमते हैं, तो वे समाज के लिए अधिक खतरा पैदा करते हैं। कुछ मामलों में, बीएमसी ने लापता व्यक्तियों को ट्रैक करने के लिए लैब के सीसीटीवी फुटेज का उपयोग किया है।
ट्रेस करने की कोशिशें
सहायक आयुक्त प्रशांत सपकाले कहते हैं, अंधेरी पूर्व में, कोरोना मरीजों के लापता होने के 27 मामले हैं। इनमें से ज्यादातर मामले झुग्गियों में हैं। किरण दीघवकर, सहायक नगर आयुक्त, जी-नॉर्थ वार्ड ने कहा कि धारावी में 29 व्यक्तियों ट्रेस नहीं किया जा सका है। लेकिन हम उनमें से कुछ का पता लगाने में कामयाब रहे हैं। इनमें प्राइवेट लैब में गलत पता और फोन नंबर देकर टेस्ट कराने वाले लोग शामिल हो सकते हैं।