नई दिल्ली। क्या फ्री एंटी वायरस या वीपीएन के चक्कर में अपने फोन में वायरस तो नहीं ला रहे हैं? भारत में आम तौर पर एंड्रॉयड यूजर्स फ्री सॉफ्टवेयर यूज करते हैं. सॉफ्टवेयर में ऐप्स भी आते हैं. लेकिन क्या फ्री एंटी वायरसे आपके लिए फायदेमंद हैं?
फ्री एंटी वायरस, फ्री मोबाइल क्लीनर, फ्री बैटरी सेवर, फ्री क्लाउड स्टोरेज वगैरह वगैरह. लेकिन क्या आप इन पर भरोसा कर सकते हैं. जवाब है, नहीं. आप इन पर भरोसान नहीं कर सकते हैं. ऐसा इसलिए, क्योंकि ये आपके लिए फ्री में सॉफ्टवेयर देते हैं, इसके बदले में ये आपका डेटा लेते हैं.
एक बार को अगर आपको अपना कुछ डेटा देने से परहेज नहीं भी है तो भी ये आपके लिए गंभीर हो सकते हैं. ऐसा इसलिए, क्योंकि ये ऐप्स अपने साथ ऐड्स सहित मैलवेयर भी लेकर आपके फोन में आते हैं. ये बैकग्राउंड में चलते हैं और आपके फोन के बैटरी से लेकर ओवरऑल हेल्थ खराब करते हैं.
ऐसे में आपके लिए जरूरी ये है कि किसी भी सिक्योरिटी या बड़े दावे करने वाले फ्री ऐप्स को समझ लें. यूज करने से पहले देख लें कि वो ऐप आपके फोन की क्या परमिशन ले रहा है. आप पाएंगे कि कॉल से लेकर कई दफा स्क्रीन रिकॉर्डिंग का भी परमिशन ऐसे ऐप्स लेते हैं.
एंटी वायरस हो फिर किसी तरह का क्लीनर, फ्री के नाम पर आपके फोन में टारगेटेड ऐड्स मिलेंगे. आपकी ऐक्टिविटी ट्रैक की जाएगी, आप फोन पर क्या कर रहे हैं इस पर भी नजर रखी जा सकती है. इसलिए जरूरी ये है कि आप इस तरह के ऐप्स पर सोच समझ कर भरोसा करें.
एक फैक्ट ये भी है कि इस तरह के ऐप्स या सॉफ्टवेयर का नुकसान यूजर्स को तुरंत नहीं पता लगता है. ये काफी बाद में होता है, कई बार तो नुकसान पता लगने में साल लग जाते हैं. क्योंकि साइबर क्रिमिनल्स सही मौके की तलाश में होते हैं और तब आपकी जानकारियों का फायदा उठा कर आपको ब्लैकमेल कर सकते हैं या फिर आपके अकाउंट से पैसे उड़ा सकते हैं.
इसलिए एंटी वायरस या किसी तरह के जरूरी मोबाइल टूल्स को आप पेड सबस्क्रिप्शन लेने की सोचें. अगर मुमकिन न हो तो शेयरिंग कर लें. क्योंकि एंटी वायरसे से लेकर वीपीएन तक में आपको फैमिली प्लान मिल जाते हैं. ये ठीक इसी तरह है जेस नेटफ्लिक्स और ऐमेजॉन प्राइम पर लोग एक साथ मिल कर प्लान लेते हैं और एक दूसरे में को डिस्ट्रिब्यूट कर देते हैं.