यूपी। उत्तर प्रदेश के कानपुर में रंगदारी को लेकर एक युवक की हत्या कर दी गई. युवक को उसकी मासूम बहन के सामने गोली मारी गई. खास बात है कि गोली लगने के बाद पुलिस युवक को अस्पताल न ले जाकर पोस्टमार्टम कराने ले गई, जबकि उसकी सांसें चल रही थीं. परिजनों ने पुलिस पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए जमकर नारेबाजी की.
दरअसल, कुछ बदमाशों ने सरेआम एक पॉलिटेक्निक छात्र की हत्या कर दी. छात्र के पिता व्यापारी हैं. हत्यारे छह महीने से छात्र से रंगदारी मांग रहे थे. इसके लिए उसका अपहरण तक कर चुके थे. हत्यारों ने दो बहनों के इकलौते भाई को मासूम बहन के सामने गोली मारी. छात्र का हर्षित है.
हर्षित की बहन निशि का आरोप है कि क्षेत्र के कुछ दबंग-गुंडे उसके भाई से जबरन वसूली करना चाहते थे, इस चक्कर में उसका 6 महीने पहले अपहरण तक कर ले गए थे और इस शर्त पर छोड़ा था कि घर से पैसे लाकर देना पड़ेगा. हर्षित ने डर के मारे कई दिनों बाद घरवालों को यह बात बताई, लेकिन घर वाले शांत बैठ गए थे.
सरेआम बाजार में मारी गई गोली
निशि ने कहा कि भाई और मैं बाजार से शाम को आ रहे थे, रास्ते में 6 लड़के आये और भाई को गोली मार दी, इसके बाद स्थानीय लोग मेरे भाई को हॉस्पिटल लाए, वहां से हैलट रेफर किया गया, रास्ते में पुलिस ने उसको एम्बुलेंस से उठाकर लोडर में डाल, जिससे हॉस्पिटल पहुंचने में देर हो गई और वहां मौत हो गई.
हर्षित की मौत के लिए घरवाले और व्यापारी सब पुलिस की लापरवाही को जिम्मेदार मान रहे हैं. सबने पोस्टमार्टम हाउस के बाहर पुलिस के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. इनका आरोप है कि अगर हर्षित को घाटमपुर सीएचसी से एम्बुलेंस से सीधे हैलट लाया जाता तो उसकी जान बच सकती थी.
पहले पोस्टमार्टम हाउस ले गई पुलिस
परिजनों का ये भी आरोप है कि रास्ते में हर्षित को एम्बुलेंस से उतारकर लोडर में डालकर पुलिस पहले पोस्टमार्टम ले गई, फिर हॉस्पिटल हैलट ले गई, जिससे समय पर उसको इलाज नहीं मिला. इस मामले में एसपी आउटर अष्टभुजा प्रसाद सिंह ने कहा कि रास्ते में अगर उसको एम्बुलेंस से लोडर में डाला गया है तो इसकी जांच करके कार्यवाही की जाएगी.
हर्षित की हत्या के मामले में पुलिस ने पांच नामजद हत्यारों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है, लेकिन अब असली सवाल ये खड़ा हो गया है कि जब हर्षित रात में एम्बुलेंस से 40 किलोमीटर दूर हैलट हॉस्पिटल के लिए निकला था तो रास्ते में उसे पुलिस लोडर में किसके आदेश से शिफ्ट किया गया था.
बहनों ने अर्थी पर चढ़ाई राखी
हर्षित अपनी दोनों बहनों का इकलौत भाई थी. उसे रक्षाबंधन का त्यौहार बहुत प्रिय था. उसकी बहनों से उसकी पसंद की राखी भी खरीदी थी, लेकिन रक्षाबंधन से दो दिन पहले उसकी सरेआम हत्या कर दी गई. भाई की कलाई पर राखी न बांध पाने वाली बहनों ने उसकी अर्थी पर राखी चढ़ाई.