खरमास का माह शुरू हो चुका है। हिंदू धर्म में जिस तरह श्राद्ध और चातुर्मास के दौरान कोई भी मांगलिक कार्यक्रम नहीं किए जाते, उसी तरह खरमास में भी कोई भी शुभ करने की मनाही है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, सूर्य हर माह में राशि परिवर्तन करते हैं, जब वह धनु में आते हैं तब खरमास लगता है। जब सूर्य धनु से निकलकर मकर में जाते हैं तब खरमास का अंत होता है। यह मास आध्यात्मिक रूप से विशेष महत्व रखता है। इस मास में जप-तप व दान करने का फल जन्मों जन्मों तक मिलता है। वहीं ज्योतिष शास्त्र में खरमास में किए जाने वाले कुछ उपाय के बारे में भी बताया गया है। इन उपायों के करने से ऐशवर्य की प्राप्ति होती है और धन संबंधित समस्या का अंत होता है।
खरमास के महीने में पड़ने वाली एकादशी को व्रत करना चाहिए और भगवान विष्णु का तुलसी दल डालकर भोग लगाना चाहिए। एकादशी को व्रतराज की उपाधि प्राप्त है। इस मास में पड़ने वाली एकादशी से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और बैकुंठ धाम की प्राप्ति होती है। शास्त्रों में खरमास में पड़ने वाली एकादशी का विशेष महत्व बताया है। इस व्रत के करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है और भौतिक सुख-सुविधाओं की प्राप्ति होती है।
खरमास में हर रोज तुलसी पूजन करना चाहिए और घी का दीपक जलाना चाहिए। साथ ही 11 परिक्रमा करें और ओम नम: भगवते वासुदेवाय नम: का जाप करें। ऐसा करने से तुलसी माता प्रसन्न होती है और यश व ऐशवर्य की प्राप्ति होती है। खरमास में तुलसी पूजा करने से सभी ग्रह-नक्षत्र शुभ फल देते हैं, जिससे जीवन में सुख-शांति बनी रहती है और हर कार्य आसानी से बनने लगते हैं।
खरमास में लक्ष्मी स्त्रोत या कनकधारा स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। यह पाठ बहुत उत्तम माना गया है। इस स्तोत्र के मात्र पढ़ने-सुनने से धन-धान्य की कमी नहीं होती और लक्ष्मी माता का आशीर्वाद प्राप्त होता है। नियमित इनका पाठ करने से वैभव और सुख की प्राप्ति होती है। साथ ही परिवार के सदस्यों के बीच प्रेम भाव बना रहता है। इसके पाठ से शत्रुओं का भी विनाश होता है और हर क्षेत्र में कामयाबी मिलती है।
जो लोग कर्ज की समस्या से परेशान हैं या फिर धन नहीं टिकता तो वह खरमास के दौरान हर रोज सुबह पीपल के वृक्ष को जल दें और पूजा पाठ करें। वहीं सायंकाल के समय दीपक जलाकर अपनी समस्या से अवगत कराएं। ऐसा करने से न सिर्फ कर्ज और आर्थिक परेशानियों से मुक्ति मिलेगी बल्कि जीवन की सभी समस्याएं भी धीरे-धीरे खत्म होने लगेंगी।
खरमास में केवल माता लक्ष्मी की पूजा न करें, उनके साथ भगवान विष्णु की पूजा भी करें। इसलिए उनको लक्ष्मी नारायण कहा जाता है। खरमास में केवल भगवान विष्णु या केवल लक्ष्मीजी की पूजा लाभकारी नहीं मानी जाती। जितना दोनों की साथ में पूजा करना शुभ फलदायी होती है। नियमित इनकी पूजा करने से आर्थिक समस्याओं से मुक्ति मिलती है और धन संबंधित समस्याओं का अंत होता है।
खरमास में ‘गोवर्धनधरवन्देगोपालं गोपरूपिणम् गोकुलोत्सवमीशानं गोविन्दं गोपिकाप्रियम्‘ मंत्र का जप करना चाहिए। मान्यता है कि पीले वस्त्र धारण करके इस मंत्र का जप करना अधिक लाभदायी माना जाता है। इसके साथ ही दान-पुण्य करने से सभी कष्ट दूर होते हैं। खरमास में दान व हवन करना अधिक पुण्यदायी माना गया है।