नई दिल्ली। तमिलनाडु के मदुरै में जिस ईमानदारी से चोरी को अंजाम दिया गया, इससे पहले शायद ही आपने कभी ऐसा मामला सुना हो। दरअसल, मदुरै के उसिलामपट्टी में चोरी की एक अजीबोगरीब घटना सामने आई है। चोर ने उसी दुकान में हाथ साफ किया जहां वह पहले काम करता था। लेकिन चोर की ईमानदारी तो देखिए, जाने से पहले उसने अपने मालिक के लिए एक खत भी छोड़ा जिसमें उसने चोरी की बात कबूल की।
चोरी की ईमानदारी देख सब हैरान
लोग उस खत में लिखी बातों के बारे में जानना चाहते हैं जिसे चोर ने अपने मालिक के लिए छोड़ा था। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक उसिलामपट्टी के एक सुपरमार्केट में स्थित दुकान में काम करने वाले पूर्व कर्मचारी ने ही चोरी की अंजाम दिया है। उसने करीब 65 हजार के सामान और 5000 कैश पर हाथ साफ किया।
कवनंदनपट्टी के 30 वर्षीय एम रामप्रकाश उस्लीमपट्टी-मदुरै रोड पर स्थित दुकान के मालिक हैं। गुरुवार सुबह जब उन्होंने अपनी दुकान खोली तो उन्हें चोरी का पता चला। दुकान से दो कंप्यूटर, एक टेलीविजन और 5000 रुपए नकद गायब थे। इतना ही नहीं जब पुलिस ने छानबीन के लिए सीसीटीवी फुटेज को खंगाला तो पता चला कि चोर उसका भी रिकॉर्ड अपने साथ ले गया है।
एम रामप्रकाश को दुकान में ही चोर द्वारा लिखी गई एक चिट्ठी मिली जिसको पढ़ने के बाद सभी के होश उड़ गए। चोर ने लिखा था, ‘माफ करिएगा, मेरे द्वारा चुराए गए सामान से आपको सिर्फ एक महीने के बराबर नुकसान होगा लेकिन यह मेरे लिए तीन महीने के बराबर है। एक बार फिर माफी मांगता हूं।’ दरअसल, चोर काम नहीं करना चाहता था, इसलिए वह अपने खर्चे के लिए सामान लेकर भाग गया। चोर की इस ईमानदारी के बाद लोगों में यह खबर आग की तरह फैल गई।
पुलिस ने बताया कि चोर इसी दुकान में काम करता था इसलिए उसने हर छोटी-बड़ी गलती की संभावनाओं को खत्म करने का प्रयास किया। वह अपने साथ सीसीटीवी फुटेज का रिकॉर्ड भी ले गया है। हालांकि पुलिस अब फिंगरप्रिंट विशेषज्ञों की मदद से चोर की तलाश में जुट गई है। उसिलामपट्टी टाउन पुलिस ने आईपीसी की धारा 457 और 380 के तहत मामला दर्ज किया है और जांच शुरू कर दी है।
ऐसा ही एक मामला मध्य प्रदेश के बैतूल जिले के सारनी से सामने आया था। यहां एक चोर ने चोरी करने से पहले भगवान के नाम एक चिट्ठी लिखी और फिर मंदिर की दान पेटी को तोड़कर उसने रखा कैश उड़ा ले गया। चिट्ठी में चोर ने अपने पापों की माफी मांगी थी। चोर ने चिट्ठी में कहा कि वह परेशान होने के कारण ऐसा काम कर रहा है। मंदिर से जुड़े लोगों के मुताबिक, मंदिर सार्वजनिक है। यहां कोई पुजारी नहीं रहता है। दान पेटी पिछले तीन सालों से नहीं खोली गई थी। पेटी में लगभग 40 से 50 हजार रुपये नकद राशि हो सकती है।