नई दिल्ली। अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट में 11वें दिन की सुनवाई शुक्रवार को पूरी हो गई। आज निर्मोही अखाड़े की ओर से सुशील कुमार जैन ने अपनी दलीलें पेश कीं। अब इस मामले की अगली सुनवाई 26 अगस्त को होगी।
निर्मोही अखाड़े की तरफ से अपनी दलीलें शुरू करते हुए वकील सुशील कुमार जैन ने कहा कि जन्मस्थान रामपुर है। अयोध्या बहुत बड़ा शहर है और मंदिर की जगह रामपुर है। तब जस्टिस बोब्डे ने पूछा कि आप कहना क्या चाहते हैं। जैन ने कहा कि मंदिर का स्थान, रामपुर में राम जन्मस्थान। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने पूछा कि उपासकों का दावा भगवान से कभी भी कम नहीं हो सकता है। लेकिन अगर आप केस नंबर 5 का विरोध करेंगे तो आप भगवान के टाइटल के खिलाफ हैं। मान लीजिए कि केस नंबर 5 यानि रामलला का केस खारिज हो जाता है तो आपका अपना स्वतंत्र कोई दावा नहीं होगा। आप दूसरे पक्ष हैं। आप भगवान के अस्तित्व के बिना अस्तित्वहीन हैं। तब जैन ने कहा कि हमने बालाजी के नजदीकी दोस्त के नाते केस दायर किया है। कब्जा किसी नजदीकी मित्र को नहीं दिया जा सकता है किसी उपासक को ही दिया जा सकता है।
जैन ने कहा कि रामलला की याचिका 1989 में आई। हमारा कब्जा 1934 से था। हमारा पक्ष है कि भगवान के पक्ष में डिग्री उसके उपासक के पक्ष में होती है। बाहरी हिस्सा ढहा दिया गया, जहां लक्ष्मण का जन्म हुआ था। अब रामलला पूरी संपत्ति पर दावा कर रहा है। जैन ने कहा कि रामलला की याचिका खारिज की जानी चाहिए, क्योंकि वे पक्षकार ही नहीं थे। जैन ने हिन्दू समूहों में आंतरिक विवाद का जिक्र किया। उन्हें हमें समर्थन करना चाहिए था। हम शताब्दियों से लड़ रहे हैं। हम चाहते हैं कि परंपरा का पालन होना चाहिए।
22 अगस्त को गोपाल सिंह विशारद के वकील रंजीत सिंह, वरिष्ठ वकील वीएन सिन्हा और निर्मोही अखाड़े के वकील सुशील कुमार जैन ने अपनी दलीलें रखीं थीं। रंजीत कुमार ने कहा था कि मेरी दलीलें वकील के परासरण और वैद्यनाथन द्वारा दिये गए उन तर्कों से सहमत हैं जो ये साबित करते हैं कि उक्त जमीन खुद में दैवीय भूमि है। रंजीत कुमार ने कहा था कि भगवान राम का उपासक होने के नाते मेरा वहां पर पूजा करने का अधिकार है, यह मेरा सिविल अधिकार है, जिसे छीना नहीं जा सकता है। यही वह जगह है जहां भगवान राम का जन्म हुआ था। मैं यहां पर पूजा करने का अधिकार मांग रहा हूं। रंजीत कुमार ने 80 साल के अब्दुल गनी की गवाही का हवाला देते हुए कहा था कि गनी ने कहा था कि बाबरी मस्जिद जन्मस्थान पर बनी है। ब्रिटिश राज में मस्जिद में सिर्फ जुमे की नमाज़ होती थी। हिन्दू भी वहां पर पूजा करने आते थे। रंजीत कुमार ने कहा कि मस्जिद गिरने के बाद मुस्लिम ने नमाज़ पढ़ना बंद कर दिया, लेकिन हिंदुओं ने जन्मस्थान पर पूजा जारी रखी।