व्लादिवॉस्तोक(रूस)/नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारत की विदेश नीति को नया आयाम देते हुए ‘एक्ट ईस्ट’ के बाद ‘एक्ट फॉर ईस्ट’ की घोषणा की है। इसके तहत रूस के सुदूर पूर्व क्षेत्र में आर्थिक गतिविधियां बढ़ाने के लिए भारत एक अरब डॉलर की ऋण सहायता (लाइन ऑफ क्रेडिट) देगा। यह पहला मौका है कि भारत किसी देश के क्षेत्र विशेष को ऐसी वित्तीय सुविधा प्रदान कर रहा है।
मोदी ने रूस के सुदूर पूर्व क्षेत्र के आर्थिक विकास पर केंद्रित ईस्टर्न इकोनॉमिक फोरम को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित किया। उन्होंने कहा कि भारत अपनी आर्थिक कूटनीति के तहत रूस के सुदूर पूर्व क्षेत्रों से खुद को जोड़ रहा है। लाइन ऑफ क्रेडिट की घोषणा इस क्षेत्र में भारत की भागीदारी के लिए नई उड़ान भरेगी।
मोदी ने यूरोप से एशिया तक फैले यूरेशियन संघ से भारत को जोड़ते हुए कहा कि रूस का करीब तीन चौथाई भूभाग एशिया में पड़ता है। सुदूर पूर्व का आकार भारत से करीब दोगुना है, लेकिन यहां की आबादी केवल 60 लाख है। खनिज, तेल और गैस से समृद्ध इस बर्फीले इलाके को फूलों की क्यारी में बदलकर सुनहरे भविष्य का आधार तैयार किया जा रहा है। भारत ने यहां के ऊर्जा क्षेत्र और हीरा जैसे प्राकृतिक संसाधनों के दोहन में महत्वपूर्ण निवेश किया है। भारत वह पहला देश था जिसने व्लादिवॉस्तोक में अपना वाणिज्य दूतावास खोला था।
उन्होंने राष्ट्रपति पुतिन के सुदूर पूर्व विकास के प्रयास की सराहना करते हुए कहा कि इस यात्रा में भारत भी रूस के साथ कदम से कदम मिलाकर चलना चाहता है। फोरम के मंच पर राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन और जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे की मौजूदगी में प्रधानमंत्री ने कहा कि प्रवासी भारतीयों, भारतीय कंपनियों और उद्यमियों ने दुनिया के अनेक क्षेत्रों में विकास यात्रा में भागीदारी की है और संपदा सृजन किया है। भारतीयों का पैसा, पसीना और पेशेवर अनुभव रूस के सुदूर पूर्व के विकास में तेजी लाएगा।
उन्होंने कहा कि भारत प्रशांत क्षेत्र में हमारी गहरी रुचि है तथा इस क्षेत्र में हम रूस के साथ सहयोग का नया दौर शुरू करने वाले हैं। उन्होंने आशा व्यक्त की है कि आने वाले दिनों में व्लादिवॉस्तोक और चेन्नई के बीच जलयान चलने लगेंगे और उत्तर पूर्व एशिया के बाजार में भारत की पहुंच गहरी होगी।
भारत प्रशांत क्षेत्र में चीन के समुद्री सीमा संबंधी दावों की ओर संकेत करते हुए मोदी ने कहा कि भारत एक ऐसी व्यवस्था चाहता है जिसमें यह पूरा क्षेत्र स्वतंत्र और मुक्त नौवहन और सभी देशों की भागीदारी सुनिश्चित हो। उन्होंने इस क्षेत्र के देशों के बीच संबंधों का आधार एक दूसरे की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान तथा नियम आधारित व्यवस्था बताया। साथ ही उन्होंने किसी देश के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने की प्रवृत्ति से दूर रहने पर जोर दिया।
मोदी ने अंतरराष्ट्रीय बिरादरी का आह्वान किया कि वह एक स्थायी और सुरक्षित भविष्य के लिए मिलकर काम करें और विभिन्न क्षेत्रों में साझेदारी की शुरुआत करें। रूस के राष्ट्रपति पुतिन के कार्यकाल में भारत रूस संबंधों में हुई बढ़ोतरी का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि दोनों देशों में सहयोग के लिए महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखे हैं। दोनों देश मिलकर अंतरिक्ष की दूरियां भी पार करेंगे और समुद्र की गहराइयों से समृद्धि भी निकाल लाएंगे।
मोदी ने महात्मा गांधी की 150वीं जयंती की चर्चा करते हुए कहा कि रूस के महान लेखक टाल्सटॉय और बापू ने एक दूसरे पर बहुत प्रभाव डाला था। उनकी प्रेरणा से भारत और रूस एक दूसरे की प्रगति में और भागीदार बनेंगे।