नई दिल्ली। टैक्स में हालिया कटौती के बाद भी डीजल और पेट्रोल की कीमतें (Diesel Petrol Prices) देश में काफी अधिक हैं. कच्चा तेल (Crude Oil) की कीमतों में कमी आने के बाद भी ईंधन के खुदरा भाव कम नहीं हुए हैं. इस बीच डीजल-पेट्रोल को जीएसटी (Diesel Petrol GST) के दायरे में लाने और पूरे देश में एक समान कीमत किए जाने को लेकर बहस चल रही है. हालांकि सरकार ने साफ कर दिया है कि इस तरह की कोई योजना नहीं है.
सरकार के पास नहीं है कोई ऐसा प्रस्ताव
पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस राज्यमंत्री रामेश्वर तेली (MoS Rameshwar Teli) ने एक सवाल के लिखित जवाब में राज्यसभा (Rajya Sabha) में बताया कि डीजल-पेट्रोल की कीमतें पूरे देश में एक समान करने की कोई योजना सरकार के पास नहीं है. उनसे पूछा गया था कि क्या सरकार ऐसी किसी योजना पर विचार कर रही है, जिसमें पूरे देश में डीजल और पेट्रोल के एक समान भाव का प्रस्ताव है. मंत्री ने साफ कहा कि फिलहाल ऐसी किसी योजना पर सरकार विचार नहीं कर रही है.
जीएसटी काउंसिल ने नहीं की है सिफारिश
मंत्री ने राज्यसभा में दिए जवाब में इस बात पर सरकार का तर्क भी रखा. उन्होंने कहा कि डीजल और पेट्रोल की खुदरा कीमतें वैट (VAT), ढुलाई के खर्च (Transportation Cost) जैसे कई कारकों पर निर्भर करते हैं. इसी कारण अलग अलग राज्यों में इनकी कीमतें अलग होती हैं. डीजल और पेट्रोल के साथ-साथ गैस को जीएसटी के दायरे में लाए जाने के सवाल पर राज्यमंत्री ने कहा कि यह फैसला जीएसटी काउंसिल (GST Council) के हाथों में है. उन्होंने कहा कि जीएसटी काउंसिल ने अभी डीजल-पेट्रोल को जीएसटी के दायरे में लाने की कोई सिफारिश नहीं की है.
पहले भी यह बात दोहरा चुके हैं कई मंत्री
केंद्र सरकार पहले भी डीजल-पेट्रोल को जीएसटी के दायरे में लाने की बात पर यही राय दोहरा चुकी है. पिछले महीने केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) ने एक कार्यक्रम में कहा था कि कई राज्य ईंधनों को जीएसटी के दायरे में लाए जाने का विरोध कर रहे हैं. हालांकि गडकरी ने यह माना कि यदि इन्हें जीएसटी के दायरे में लाया जाए तो कीमतों से आम जनता को और राहत मिल सकती है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (FM Nirmala Sitharaman) भी कई मौकों पर दोहरा चुकी हैं कि इस बारे में फैसला करना जीएसटी काउंसिल के हाथों में है.