नई दिल्ली। अफगानिस्तान पर एससीओ-सीएसटीओ आउटरीच शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि अगर अफगानिस्तान में अस्थिरता और कट्टरवाद बना रहेगा तो इससे पूरे विश्व में आतंकवादी और उग्रवादी विचारधाराओं को बढ़ावा मिलेगा. अन्य उग्रवादी समूहों को हिंसा के माध्यम से सत्ता पाने का प्रोत्साहन भी मिल सकता है. ऐसा करने से सभी देश परेशानी के आ जाएंगे। क्योंकि तालिबान दूसरे देशों पर भी कब्जा करने की रणनीति बनाएगा। वहीं ऐसी संगठन युवाओं का भविष्य खराब करती हैं इसलिए हमें अफगानिस्तान के मामले में जल्द से जल्द कुछ करना पड़ेगा।
दरअसल, धर्म के नाम पर और खासतौर से ऐसा देखा गया है कि इस्लामिक देशों में शरिया कानून और दूसरे मुस्लिम देशों की तरह की राह पकड़ने की मांग जोर पकड़ती रहती है। ऐसे में काबुल में तालिबान राज देख पाकिस्तान में भी इमरान खान की कुर्सी खतरे में पड़ सकती है। तालिबान के आने से पाकिस्तान में फिर से वहाबी इस्लाम बढ़ सकता है जो इस्लाम का कट्टरवादी स्वरूप है।
अफगानिस्तान में आतंकियों के सत्ता में आने के बाद क्षेत्र में अस्थिरता का खतरा पैदा हो गया है। वैसे, भारत ने तालिबान के काबुल में सत्ता हथियाने के बाद एक बार बातचीत भी की है लेकिन उसे मान्यता देने पर अभी ‘वेट एंड वॉच’ की नीति अपना रहा है। आज जब पीएम को वैश्विक मंच और खासतौर से अफगानिस्तान के आस-पड़ोस के देशों के नेताओं के सामने बोलने का मौका मिला तो पीएम ने सीधे तौर पर कट्टरपंथ को क्षेत्र के लिए खतरा बताया और उसे आश्रय देने वाले पाकिस्तान को खूब सुनाया।
पीएम ने कहा कि भारत में और एससीओ के लगभग सभी देशों में इस्लाम से जुड़ी मॉडरेट, सहिष्णु और समावेशी संस्थाएं व परंपराएं हैं। एससीओ को इनके बीच एक मजबूत नेटवर्क विकसित करने के लिए काम करना चाहिए।
पीएम ने कहा कि कट्टरपंथ से लड़ाई क्षेत्रीय सुरक्षा और आपसी भरोसे के लिए आवश्यक है ही, यह हमारी युवा पीढ़ियों के उज्ज्वल भविष्य के लिए भी जरूरी है। विकसित विश्व के साथ प्रतिस्पर्धा के लिए हमारे क्षेत्र को उभरती टेक्नोलॉजी में स्टेकहोल्डर बनना होगा। इसके लिए हमें विज्ञान और तर्कवादी सोच के लिए प्रोत्साहित करना होगा।