गायों को गले लगाने वाले किसी फार्म का दौरा करते हैं और वहां किसी एक गाय के साथ घंटों तक सटकर बैठते हैं. गाय की पीठ थपथपना और उसके साथ सटकर बैठना या उसे गले लगा लेना, ये सब थेरेपी का हिस्सा हैं.
अगर गाय पलटकर आपको चाटती है तो वो बताती है कि आपके और उसके बीच विश्वास कितना गहरा है. गाय के शरीर का गर्म तापमान, धीमी धड़कनें और बड़ा आकार उन्हें सटकर बैठने वालों को शांति का अहसास देता है.
ये एक सुखदायक अनुभव होता है. यही नहीं इससे गायों को भी सुखद अहसास होता है. ये उनकी पीठ खुजलाने जैसा है. उनसे सटकर बैठना, उन्हें चाटने देना ये सब इस चिकित्सकीय अनुभव का ही हिस्सा हैं.
नीदरलैंड्स में गायों के एक फार्म की मालिक कहती हैं, “गायें आमतौर पर बेहद शांतिपूर्ण होती हैं, वो बेवजह लड़ती नहीं हैं और किसी को परेशान नहीं करती हैं.”
वो कहती हैं, “गले लगाने के लिए तैयार की गईं विशेष गायें तो और भी शांत होती हैं. जब एक गाय बोर हो जाती है तो वो उठकर चल देती है.”
माना जाता है कि गायों को गले लगाने से मनुष्यों के शरीर में ऑक्सिटोसिन निकलता है और इससे उन्हें अच्छा अहसास होता है.
माना जाता है कि ऑक्सिटोसिन संतुष्टी की भावना लाता है, तनाव कम करता है और दोस्तों के साथ होने पर मन की शांति का अहसास कराता है.
ये माना जाता है कि पालतू जानवरों को गले लगाने से जो मन की शांति का अहसास होता है वो बड़े जानवर के साथ और ज़्यादा बढ़ जाता है.
जैसे जब हम सोफे पर किसी बिल्ली को गोद में बिठाकर जो महसूस करते हैं वो अब गाय जैसे बड़े जानवर के साथ होने पर और बढ़ जाता है.
करीब एक दशक पहले नीदरलैंड्स के ग्रामीण इलाक़ों में जानवरों के साथ समय बिताने की ये संस्कृति शुरू हुई थी. अब ये एक बड़े अभियान का हिस्सा है जिसके तहत लोगों को प्रकृति और देसी ज़िंदगी के क़रीब लाया जा रहा है.
अब तो रोटरडेम, स्विट्ज़रलैंड और यहां तक कि अमरीका के भी फार्म लोगों को गायों को गले लगाने का अनुभव दे रहे हैं.
ये तनाव दूर करने का एक तरीका भी बनता जा रहा है.
साल 2017 में किए गए एक शोध के मुताबिक गायों को जब उनकी गर्दन और पीठ के कुछ खास हिस्सों पर मसाज किया गया तो वो शांत हुईं, फैलकर लेटीं और उनके कान भी नीचे गिर गए. ये शोध एप्लाइड एनिमल विहेवियर साइंस जर्नल में प्रकाशित हुआ था.
अब ऐसा भी हो सकता है कि डॉक्टर तनाव के शिकार लोगों को गायों के साथ समय बिताने के लिए कहें.