नई दिल्ली। साल 2021 एजुकेशन के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण रहा. इस साल कोरोना का कारण बोर्ड एग्जाम नहीं हो पाए साथ ही 2021 में धर्मेंद्र प्रधान को नया शिक्षा मंत्री बनाया गया. आईये जानते हैं 2021 में क्या हुए पांच बड़े बदलाव
पहले राज्य में लागू हुई नई शिक्षा नीति
नई शिक्षा नीति मोदी सरकार द्वारा 2020 में मंजूरी दे दी गई थी. नई शिक्षा नीति के तहत स्कूली शिक्षा में 10+2 फॉर्मेट को खत्म कर दिया गया है. इसे 10+2 से 5+3+3+4 फॉर्मेट में ढाला गया है. इसका मतलब है कि अब स्कूल के पहले पांच साल में प्री-प्राइमरी स्कूल के तीन साल और कक्षा 1 और कक्षा 2 सहित फाउंडेशन स्टेज शामिल होंगे. फिर अगले तीन साल को कक्षा 3 से 5 की तैयारी के चरण में विभाजित किया जाएगा. इसके बाद में तीन साल मध्य चरण (कक्षा 6 से 8) और माध्यमिक अवस्था के चार वर्ष (कक्षा 9 से 12) होंगे. वहीं इस साल कर्नाटक नई शिक्षा नीति लागू करने वाला पहला राज्य बना.
धर्मेंद्र प्रधान बने नए शिक्षा मंत्री
प्रधानमंत्री ने जुलाई 2021 में अपनी कैबिनेट का विस्तार किया. रमेश पोखरियाल निशंक के इस्तीफे के बाद धर्मेंद प्रधान को शिक्षा मंत्री, कौशल विकास और उद्यमिता मंत्री बनाया गया. इसके साथ ही कई विभागों में भी बदलाव किए गये.
बोर्ड परीक्षाएं हुई कैंसिल
कोरोना का कहर बोर्ड परीक्षाओं पर भी पड़ा. 2021 में होने वाली सीबीएसई की 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं को रद्द कर दिया गया था. एग्जाम कैंसिल होने की घोषणा खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की थी. इसके साथ ही उत्तर प्रदेश और गुजरात सहित कई राज्यों ने भी बोर्ड परीक्षाएं कैंसिल कर दी थी.
CTET आजीवन किया गया मान्य
देश में शिक्षक के पदों पर भर्ती के लिए जरूरी शिक्षक पात्रता परीक्षा (TET) सर्टिफिकेट की वैधता अब 7 वर्ष की अवधि से बढ़ाकर आजीवन कर दी गई है. तत्कालीन केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने इस फैसले की घोषणा की थी. पहले, सर्टिफिकेट की वैधता केवल 7 वर्ष की होती थी और इस दौरान भर्ती न मिल पाने पर उम्मीदवार को दोबारा पास करनी पड़ती थी. अब केवल एक बार परीक्षा पास करने के बाद ही उम्मीदवार शिक्षक पदों पर भर्ती के लिए आजीवन पात्र होंगे.
इंजीनियरिंग की पढ़ाई होगी मातृभाषा में
शैक्षणिक सत्र 2021-22 से भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) और राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (NIT) मातृभाषा में इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम की पढ़ाई कराना शुरू करने की बात उस समय के शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने की थी. वहीं IIT-BHU देश का पहला ऐसा इंजीनियरिंग कॉलेज होने जा रहा है जो B Tech की पढ़ाई अंग्रेजी माध्यम के बजाए हिंदी में कराने जा रहा है.