लखनऊ। योगी आदित्यनाथ सरकार ने प्रदेश के 151 वर्ष प्राचीन मंदिरों का जीर्णोंद्धार करने का फैसला किया है। इसके लिए ऐसे मंदिरों को सबसे पहले सूचीबद्ध किया जाएगा। ये वह मंदिर हैं, जो अंग्रेजी हुकुमत के थपेड़ों को सहते हुए आज भी बचे हुए हैं। यह सारे मंदिर अंग्रेजों के शासन में भी बेहद लोकप्रिय थे और लोगों की आस्था का प्रमुख केन्द्र रहे, लेकिन उचित देखरेख के अभाव में इनका सही तरीके से संरक्षण नहीं किया जा सका। अब सरकार इनका पुराना गौरव वापस दिलाने की दिशा में काम करेगी।
उत्तर प्रदेश के पर्यटन, संस्कृति एवं धमार्थ कार्य राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) नीलकंठ तिवारी ने ‘हिन्दुस्थान समाचार’ को बताया कि वक्त के थपेड़ों के बावजूद 151 वर्ष पुराने ऐसे मंदिरों को सबसे पहले सरकार सूचीबद्ध करेगी। इसके लिए शासन स्तर पर निर्देश दिए गए हैं। ऐसे मंदिरों की संख्या राज्य में लगभग चार से पांच हजार हैं। इन मंदिरों की बेहद मान्यता है और विषम परिस्थितियों के बावजूद इनका अस्तित्व अभी भी बचा हुआ है। ऐसे में सरकार ने इनके संरक्षण की दिशा में कदम उठाते हुए यह फैसला किया है। उन्होंने कहा कि सूचीबद्ध होने के बाद इनकी देखरेख करने वाले या संचालन करने वाली कमेटी से बातचीत की जाएगी। जो भी जरूरत होगी उसे पूरा करते हुए परिस्थितियों के मुताबिक उनका जीणोद्धार कराया जाएगा।
प्रदेश सरकार की इस पहल से जहां नेपथ्य में चले गए अति प्राचीन मंदिरों का संरक्षण हो सकेगा, वहीं, यहां आने वाले श्रद्धालुओं को भी बेहतर सुविधाएं मिल सकेंगी। इसके साथ ही राज्य में धार्मिक और सांस्कृतिक पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा।