रांची, 1 मार्च (SWADESH TODAY DIGITAL)। रांची के डोरंडा स्थित जोनल आइजी पंकज कंबोज के कार्यालय में मंगलवार को झारखंड पुलिस और सीआरपीएफ के अधिकारियों के सामने जोनल कमांडर 10 लाख के इनामी नक्सली सुरेश सिंह मुंडा और उसके सहयोगी दो लाख के इनामी लोदरो लोहार ने आत्मसमर्पण कर दिया। सुरेश ने बेटी की बातों से प्रभावित होकर यह निर्णय किया।
सुरेश सिंह मुंडा रांची के बुंडू थाना अंतर्गत बाराहातू का रहने वाला है। सुरेश सिंह मुंडा के गांव में कुंदन पाहन के दस्ते का आना-जाना था। वर्ष 1998 में कुंदन पाहन दस्ता उसे साथ ले गया। चांडिल-बुंडू जोन में स्थित जनमिलिशिया गांव का काम दिया। सुरेश सिंह मुंडा का काम था पुलिस की गतिविधि की सूचना पार्टी तक पहुंचाना। सुरेश सिंह मुंडा 25 वर्ष तक संगठन में शामिल रहा। हाल के दिनों में सुरेश सिंह मुंडा की 14 साल की नाबालिग बेटी ने चिट्ठी भेजी थी। बेटी की चिट्ठी से प्रभावित होकर सुरेश सिंह मुंडा ने हिंसा का रास्ता छोड़कर मुख्य धारा से जुड़ने का प्लान बनाया था।
नाबालिग बेटी की चिट्ठी ने मुख्य धारा में लौटने को प्रेरित किया। दिसम्बर 2021 में सुरेश सिंह मुंडा ने सहयोगी लोदरो लोहरा के साथ संगठन छोड़ दिया। इसके बाद पुलिस से संपर्क बनाया। सरेंडर के वक्त सुरेश सिंह मुंडा की नाबालिग बेटी भी मौजूद थी। सुरेश सिंह मुंडा की बेटी नौंवी कक्षा की छात्रा है। पहली बार अपने पिता से मिलने स्कूटी से रांची पहुंची थी। वर्ष 2007 में बीमारी की वजह से सुरेश सिंह मुंडा की पत्नी की मौत हो गयी है।
सुरेश सिंह मुंडा का एक भाई गुलशन मुंडा भी नक्सली संगठन से जुड़ा है। सुरेश सिंह मुंडा ने बताया कि माओवादी के पोलित ब्यूरो सदस्य मिसिर बेसरा इन दिनों कोल्हान इलाके में सक्रिय है, जबकि अनल उर्फ तूफान उर्फ पतिराम मांझी उर्फ पतिराम मरांडी उर्फ रमेश सक्रिय है।
जेल में रहकर किया था मैट्रिक पास
सुरेश सिंह मुंडा वर्ष 2004 में पकड़ा गया था। वर्ष 2010 तक बिरसा मुंडा केंद्रीय कारावास में बंद रहा। इस दौरान उसने जेल में रह कर मैट्रिक की परीक्षा पास की। इसके अलावे आयुर्वेद की भी जानकारी रखता है। जंगल में पाई जाने वाली जड़ी-बूटी से इलाज करना जानता है। छत्तीसगढ़ के एक एमबीबीएस डॉक्टर रफीक से भी सुरेश सिंह मुंडा चिकित्सा प्रशिक्षित है।
दबंग के कारण दोबारा जुड़ा संगठन से
सुरेश सिंह मुंडा वर्ष 2010 में जेल से बाहर निकला। इसके बाद गांव के दबंग बुद्धू दास व अऩ्य के द्वारा परेशान किया जाने लगा। सुरेश सिंह मुंडा को जान से मारने तक का प्रयास किया गया। इसके बाद दोबारा संगठन से जुड़ने का निर्णय किया। 2012 में पोड़ाहाट का सब जोनल कमांडर बनाया गया। 2015 में केद्रीय कमिटि सदस्य सुधाकरण की टीम को सुरेश सिंह मुंडा गुमला और बूढ़ा पहाड़ ले गया था।
मिलने लगी नक्सलियों की धमकी
दो लाख का इनामी नक्सली लोदरो लोहरा उर्फ सुभाष खूंटी जिला के अड़की थाना स्थित लुपुंगाहातू कोचांग टोला में ही ट्रैक्टर चलाने का काम करता था। लोदरो लोहरा की पुलिस से काफी जान पहचान थी। इलाके में पुलिस को जब भी पोस्टमार्टम का काम पड़ता था तो लोदरो लोहरा का ही ट्रैक्टर ले जाया करता था। कुंदन पाहन ने 2009 में पुलिस के लिए काम करने से मना कर दिया। मारने की धमकी दी। इसके बाद 2010 में मोछू के दस्ते से जुड़ गया। 2013 में लोदरो को एरिया कमांडर बनाया गया। खूंटी, मुरहू, बीरबांकी, सोयको आदि क्षेत्र की जिम्मेदारी दी गयी।
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