रांची। अनुसूचित जनजाति समुदाय को ऋण नहीं मिल पाने की समस्या अविभाजित बिहार से चली आ रही है। ऐसी व्यवस्था हो ताकि अनुसूचित जनजाति के लोग व्यवसाय एवं अन्य क्षेत्र में आगे बढ़ सकें। इनके पास भूमि है। लेकिन भूमि होने के बावजूद वे उसका उपयोग खुद को आत्मनिर्भर बनाने में नहीं कर पाते। शिकायतें आती हैं कि उन्हें बैंक से ऋण उपलब्ध नहीं हो पाता है। यही वजह है। आज इस बैठक का आयोजन किया जा रहा है। अनुसूचित जनजाति समुदाय के 28 प्रतिशत लोग इस राज्य में हैं। अगर अनुसूचित जाति समुदाय को सम्मलित कर लें तो यह 40 प्रतिशत तक जाएगी। ऐसे में उन्हें आगे बढ़ाने की दिशा में हम सभी का सामूहिक प्रयास होना चाहिए। ये बातें मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने कही। मुख्यमंत्री अनुसूचित जनजाति समुदाय के व्यक्तियों को बैंकों द्वारा ऋण उपलब्ध कराने के संबंध में आयोजित बैठक में बोल रहे थे। मुख्यमंत्री ने कहा अगर बैंक आदिवासी समुदाय के लोगों की भूमि छीन लेगी तो, उनका अस्तित्व ही छीन जाएगा। उनके अस्तित्व को सुरक्षित रखते हुए हमें कार्य करना है।
लीक से अलग हटकर विचार करें
मुख्यमंत्री ने कहा कि बैंक प्रबंधन लीक से अलग हटकर समाधान निकाल सकता है। बैंकों को चाहिए कि भूमि पर ध्यान ना देकर भूमि पर जिस चल- अचल संपत्ति का निर्माण हो, उसे कोलेट्रल के रूप में रखने पर विचार करें तो समस्या का काफी हद तक समाधान निकाला जा सकता है। इसके अतिरिक्त बैंकों को कोलेट्रल फ्री ऋण की अधिसीमाओं को बढ़ाने की आवश्यकता है, जिससे की आदिवासियों को आसानी से शिक्षा, आवास, व्यवसाय एवं उद्योग लगाने के लिए लोन मिल सके। इस समुदाय के लोग अगर आगे नहीं बढ़ेंगे तो राज्य कैसे विकास के पथ पर आगे बढ़ेगा। बैंक प्रबंधन इस पर विचार करें। बैंक प्रबंधन बोर्ड की बैठक में इन बातों को रखें। सरकार बैंक प्रबंधन को पूर्ण सहयोग प्रदान करेगी। हमें समन्वय बनाकर कार्य करने की आवश्यकता है, जिससे इस समुदाय का सर्वांगीण विकास सुनिश्चित हो सके।
बैठक में मंत्री चम्पई सोरेन, विधायक प्रो. स्टीफन मरांडी, मुख्य सचिव सुखदेव सिंह, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव राजीव अरुण एक्का, मुख्यमंत्री के सचिव विनय कुमार चौबे, वित्त सचिव अजय कुमार सिंह, कल्याण सचिव केके सोन एवं विभिन्न बैंकों के महाप्रबंधक और क्षेत्रीय प्रबंधक उपस्थित थे।