धुलपान करने को विवश है राय के निवासी
पिपरवार। संमुद्र मंथन मे बिष और अमृत दोनो मिला था अमृत तो देवताओं और दानवों ने बाँट लिया लेकिन बिष आयी भगवान शिव के जिम्मे जिसे पीकर वो नीलकंठ कहलाये।ठीक उसी प्रकार सीसीएल के दो बड़े बड़े क्षेत्र एनके और पिपरवार की कई परियोजनाओं के बीच अवस्थित राय पंचायत के निवासी भी सीसीएल की गतिविधियों से पैदा हो रहे धुलकण और कोयले की कीचड़ ( बिष) पीने को विवश है।सीसीएल की खदानो से पैदा होने वाले अमृत को सीसीएल के अधिकारी ,ठेकेदार और कोल इंडिया को मिलता है।अगर ऐसा नही होता तो राय से बचरा या डकरा जाने वाले रास्ते की इतनी बुरी हालत नही होती।पिपरवार क्षेत्र के कमांड एरिया मे होने के बावजुद भी सीसीएल द्वारा राय मे कोई सुविधा उपलब्ध नही करायी जाती है।बिना जरुरत के एक और जहाँ बचरा की सड़को पर झाड़ु लगाने के साथ साथ टाइल्स के पाथवे बनाए जा रहे है वही राय के लोग एक सड़क के लिए तरस रहे है।सीसीएल की गतिविधियों के कारण राय के लोग कोयले के धुल एवं कीचड़ भरी सड़को पर चलने को मजबुर है।सीसीएल की आरसीएम सायडिंग राय मे होने के कारण एवं पिपरवार से राँची की दुरी राय होकर जाने मे कम होने के कारण सभी हाईवा एवं रोड सेल की ट्रको का आवागमन राय के रास्ते होने से आम राहगीरों के साथ साथ स्कुली बच्चों का भी रास्ते पर चलना मुश्किल हो गया है।कुल मिलाकर अमृत तो सीसीएल के अधिकारी और ठेकेदार पी रहे है और बिष राय के निवासी।सामाजिक निगमित दायित्व योजना का लाभ भी राय को नही मिल पाता है जबकी इसके नाम पर हर साल लाखों का व्यारा न्यारा होता है।वर्तमान मे सड़को की स्थित को लेकर राय पंचायत के लोगो मे काफी रोष है जो कभी भी आंदोलन का रुप ले सकता है।