रांची। आलौकिक प्रकाश से सम्पन्न आत्माएं कभी किसी के मन को पीड़ा नहीं दे सकती है। जगत की सभी समस्याओं का मूल कारण आध्यात्मिक दरिद्रता है। दीपावली की प्रकाश पर्व अन्दर की दरिद्रता समाप्त करके ज्ञान, गुण और शक्तियों की सम्पन्नता लाने का संदेश देता है। ये उद्गार ब्रह्माकुमारी संस्थान हरमू रोड, चौधरी बगान, हरित भवन के सामने, रांची में आयोजित दीपोत्सव समारोह में लक्ष्मी नारायण तथा श्रीकृष्ण की चैतन्य झांकियों के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर उद्घाटन करते हुए कांके के माननीय विधायक समरी लाल जी ने अभिव्यक्त किये।
उन्होंने कहा दीप जलाकर हम ज्ञानरत्न धन की कामना करते हैं ताकि अज्ञान का तामस् जिन्दगी से चला जाये। जीवन में ज्ञान जागृति न होने से ही मनुष्य चोरी और गुनाह अंधेरे में नजर चुराकर विकर्म करता है। मिथ्या समझ के कारण समाज में ये गलतियॉ हो रही है।
ईष्वरीय ज्ञान का प्रकाश ही स्वच्छता और पारदर्शिता लायेगा। ईष्वरीय ज्ञान से जागृत आत्माओं के सम्पूर्ण प्रकाश में अत्याचार, शोषण व भ्रष्टाचार जैसी काली प्रवित्तियाँ समाप्त हो जायेगी व विश्व के कोने-कोने में शांति प्रेम व भाईचारे की भावनाएं जागृत होगी।
ईश्वरीय विश्व विद्यालय सम्पूर्ण पवित्रता का ऐसा प्रकाश स्तम्भ है जिसके प्रकाश से हर मानव अपने जीवन का अंधकार हटा सकता है। जब मनुष्य माया के शसन से स्वंतत्र हो जाता है, नया सतोयुगी शरीर रूपी वस्त्र धारण कर लेता है तब सतयुग का शुभारंभ होता है जिसकी खुशी में आज तक लोग दीपक जगाते और मिठाईयों से मुख मीठा करते हैं।
विशिष्ट अतिथि इंडियन नेवी के कैप्टन रंधीर पाण्डेय ने कहा अब इस भारत भूमि को जगमग करने के लिए परम ज्योति निराकार परमात्मा का अवतरण हुआ है। सर्व अनिष्टों से निवृति उनसे योग लगाकर ही हो सकती हैं। आज से पॉच हजार वर्ष पूर्व अति सुखकारी समय था व हर दिन खुशियों के दीपक जलते थे। भारत देश पूर्व की भांति अब फिर से शिरोमणि और जगद्गुरू का स्थान प्राप्त करेगा और इसी भारत देश से ईश्वरीय अध्यात्म की दैदीप्यमान किरणें सम्पूर्ण भू-मण्डल को प्रकाशित करेंगी।
विशिष्ट अतिथि अंजली जी पूर्व निदेषक, भूगर्भ विभाग ने कहा प्राकृतिक परिवर्तनों के बाद प्रकृति पुनः संतुलन को प्राप्त करेगी तथा खास भारत के अन्न-धन के भंडार पुनः भरपूर होकर सच्ची दीपावली इस दुनिया में आएगी। श्री लक्ष्मी-श्री नारायण का संयुक्त रूप ही चतुर्भुज महालक्ष्मी है। एक दिन उजाला रखने से तथा जागने से श्री लक्ष्मी जी घर में पधारती हैं तो क्यों न सदा के लिए मन पवित्र रखें जिससे श्री लक्ष्मी स्थायी रूप से इस धरा पर पधारें।
केन्द्र संचालिका ब्रह्माकुमारी निर्मला बहन ने कहा वर्तमान समय का मानव धन-वैभव की लिप्सा में आत्मा के दिव्य तेज को नष्ट कर रहा है या आच्छादित कर रहा है। ज्ञानयोग के बल से आलोकित मानव की उच्च आध्यात्मिक स्थिति से वैभवशाली बन दैवी स्वराज्य की स्थापना करेगा। कमल पुष्प समान अनासक्त बन श्री लक्ष्मी का आह्वान करने की जगह हम मिट्टी के दीप जलाते रहते हैं इसी कारण समाज की समृद्धि रूपी लक्ष्मी रूठ गयी है।
आध्यात्मिक रूप से सशक्त नारी ही वर्तमान की दुर्गा और भविष्य की धन लक्ष्मी है। माया ही नरकासुर है। जिसने श्री लक्ष्मी को अपने पाश में आवद्ध किया था। तब ही परमात्मा शिव इस कलियुगी सृष्टि में अवतररित हुए तथा विकारों के कारागार में बन्द हुयी मनुष्य आत्माओं को ज्ञान और योग के साधन द्वारा मुक्त कराया है।
ब्रह्माकुमारी संस्थान के लिए दीपावली के दिन का महत्व बताते हुए उन्होंने कहा इसकी स्थापना सन् 1937 में दीपावली के दिन ही की गयी थी तथा यहां की मुख्य संचालिका दादी प्रकाशमणि का जन्म भी दीपावली के दिन हुआ था।
समारोह में डा0 रमेश बजाज एवं सुधा गोस्वामी सहित काफी संख्या में अध्यात्म प्रेमी उपस्थित थे। सबने एक-एक दीप जलाकर आने वाले समय में भी आत्मदीप जागृत रखने का संकल्प एवं प्रण लिया। वे आसुरी अवगुणों जैसे काम, क्रोध एवं लोभ का खाता बन्द कर दैवी गुण को धारण कर नया खाता खोलने की प्रतिज्ञा की।
कार्यक्रम का आयोजन कोविड 19 के गाईडलाइस के अनुसार किया गया। सोशल डिस्टेसिंग का पालन करते हुए मास्क के साथ सीमित संख्या में लोगो ने हिस्सा लिया।
ज्ञातव्य हो कि ईश्वरीय ज्ञान एवं राजयोग का निःशुल्क नियमित प्रवचनमाला व प्रशिक्षण इच्छुकों के लिए प्रतिदिन स्थायी रूप से प्रातः 7 बजे से 9 बजे एवं संध्या 5 बजे से 7 बजे तक चौधरी बगान, हरमू रोड स्थित ब्रह्माकुमारी संस्थान में आयोजित रहता है।
मानवता की सेवा में
(ब्रह्माकुमारी निर्मला)
केन्द्र प्रशासिका
नया युग आध्यात्मिक युग होगा
पवित्रता ही सुख शांति की जननी हैं हर कीमत पर इसकी रक्षा करना अपना सर्वप्रथम कर्तव्य है।