रांची। राज्य सरकार की कल्याणकारी योजनाओं से जुड़कर ग्रामीण महिलाएं आत्मनिर्भर बन रही हैं। इन योजनाओं से जुड़कर उन्होंने न सिर्फ अपनी आर्थिक हालत सुधारी, बल्कि गांव के लोगों को भी सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाया। इन योजनाओं के तहत राज्य सरकार ग्रामीण महिलाओं को मेट बनाने का भी कार्य कर रही है।ये मेट गांव के लोगों को सरकारी योजनाओं की जानकारी, उन योजनाओं से जोडने की पहल, गांव में मनरेगा के तहत हो रहे कार्यों में संलग्न करते हुए उन्हें पारिश्रमिक का भुगतान समेत अन्य कार्य करतीं हैं, जिसके एवज में राज्य सरकार उन्हें राशि का भुगतान करती है। अब ये मेट अपने आर्थिक स्वावलंबन का मार्ग प्रशस्त करते हुए गांव के लोगों के लिए प्रेरणास्त्रोत बन गई हैं।
मेट बनने के बाद सुधरी अवेदा की आर्थिक हालत
लोहरदगा की 8वीं पास अवेदा खातून ने मेट बनने के बाद अपने अपने परिवार का भरण पोषण बेहतर ढंग से कर रही है। अवेदा कहती है मेट के रूप में उसका काम करने का अनुभव अच्छा रहा है। गरीब ग्रामीणों को कार्य देकर उन्हें समय पर भुगतान करा कर काफी खुशी होती है। अवेदा मेट के रूप में चयन होने से पहले खेती-मजदूरी करके किसी तरह अपने परिवार का भरण-पोषण करती थी। अब मेट बनने के बाद उसका परिवार आर्थिक रूप से अच्छा हो गया है। अवेदा की तरह ही, सिमडेगा के कोलेबिरा की शाहपुर पंचायत की सबिता कुमारी इंटर पास हैं। उन्हें मनरेगा में मेट का काम मिला। मेट में रजिस्टर होते ही सबिता आत्मनिर्भर हो गई। सरकारी पदाधिकारियों और कर्मचारियों से संपर्क होने के कारण उसे कई सरकारी योजनाओं के बारे में जानकारी मिली। इन जानकारियों को उसने ग्रामीणों के साथ बांटा और उन्हें भी सरकारी योजनाओं से जोड़ा।
मेट बुधनी ने बंजर जमीन में उगाई खुशहाली की फसल
बुधनी उरांव लोहरदगा के जोरी ब्लॉक की रहने वाली है। मेट बनने के बाद उसे मनरेगा से सिंचाई कूप दिया गया। जिससे उसने 2021 में सब्जी और आम की बागवानी शुरू की। बंजर जमीन को कृषि योग्य बनाया और किसानों को रोजगार मुहैया कराया। किसानों को कूप के लाभ के बारे में बताया। महिलाओं का समूह तैयार कर उन्हें मनरेगा समेत सरकार की अन्य लाभकारी योजनाओं के बारे में बताया, जिससे दूसरे ग्रामीण भी सब्जियों की खेती कर अपनी आमदनी बढ़ा रहे हैं।
मनरेगा योजना वर्तमान समय में ग्रामीणों के लिए वरदान बन गया है। इस बदलाव के पथ प्रदर्शक बने है मनरेगा के महिला मेट। ये मनरेगा योजना से जुड़कर अपने परिवार का भरण पोषण तो कर ही रही हैं। साथ ही, जीवन को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में कदम बढ़ाया है।
– राजेश्वरी बी, मनरेगा आयुक्त