श्रीलंका: कभी खुशहाल और पर्यटकों के लिए फेवरेट डेस्टिनेशन माना जाने वाला श्रीलंका आज सबसे बड़े आर्थिक संकट से गुजर रहा है। आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका ने मंगलवार को खुद को दिवालिया घोषित कर दिया है। श्रीलंका ने ऐलान किया है कि वह अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से बकाया 51 अरब डॉलर के विदेशी कर्ज को चुका नहीं पाएगा।
श्रीलंका की आज जो खराब आर्थिक स्थिति है उसमें सबसे अहम कारणों में एक उसका तेजी से बढ़ता विदेशी कर्ज भी है। अप्रैल 2021 में श्रीलंका पर कुल कर्ज 3500 करोड़ डॉलर का था, जो महज एक साल में बढ़कर 5100 करोड़ डॉलर पर पहुंच गया है। श्रीलंका के कर्ज में ज्यादातर हिस्सा ऐसे कर्ज का है, जिसे न चुका पाने की उसे भारी कीमत देनी पड़ी रही है।
श्रीलंका के वित्त मंत्रालय ने कहा कि दक्षिण एशियाई राष्ट्र को कर्ज देने वाली विदेशी सरकारों सहित लेनदार मंगलवार दोपहर से अपने किसी भी ब्याज भुगतान को भुनाने या श्रीलंकाई रुपये में भुगतान का विकल्प चुनने के लिए स्वतंत्र थे।
श्रीलंका पर जितना कर्ज है, उसमें 47 फीसदी कर्ज तो बाजार से लिया गया है। इसके बाद 15 फीसदी कर्ज चीन का है, एशियन डेवलेपमेंट बैंक से 13 फीसदी, वर्ल्ड बैंक से 10 फीसदी, जापान से 10 फीसदी भारत से 2 फीसदी और अन्य जगहों का कर्ज 3 फीसदी है।
श्रीलंका सरकार ने कर्ज लेकर तो खूब ऐश की, लेकिन अब वक्त चुकाने आया है तो खजाना खाली है। वहीं गुस्सायी जनता सड़क पर है और विपक्ष उसके साथ खड़ा है। इससे राष्ट्रपति राजपक्षे की सरकार की नींद उड़ गई है। विपक्ष आने वाले दिनों में प्रदर्शनों को और तेज करने की बात कह रहा है।
श्रीलंका की दुर्दशा की एक वजह ये भी है कि वहां राष्ट्रपति राजपक्षे ने लोकतांत्रिक राष्ट्र को एक तरह से तानाशाही और परिवारवादी शासन व्यवस्था में तब्दील कर दिया है। राजपक्षे खानदान के आधा दर्जन से अधिक लोग मंत्री हैं।
अगर आर्थिक विकास की दृष्टि से देखा जाए तो वर्ष 2020 में श्रीलंका की प्रतिव्यक्ति आय बाजार विनिमय दर के हिसाब से 4053 डालर वार्षिक और क्रयशक्ति समता के आधार पर 13,537 डालर वार्षिक थी, जो भारत से कहीं अधिक थी।
चीन के कर्ज जाल में फंसता गया
मानव विकास की यदि बात करें तो संयुक्त राष्ट्र की मानव विकास रिपोर्ट (2020) के अनुसार श्रीलंका का स्थान 72वां था, जबकि भारत का स्थान 131वां ही था. यानी आर्थिक विकास की दृष्टि से श्रीलंका की स्थिति बेहतर थी। लेकिन धीरे-धीरे श्रीलंका चीन के कर्ज जाल में फंसता गया और अब बुरे आर्थिक दौर से गुजर रहा है।