रामगढ़। श्री दिगम्बर मंदिर मेन रोड एवं रांची रोड स्थित श्री पारसनाथ जिनालय में मंगलवार से जैन समाज का महापर्व श्री दक्षलक्षण महापर्व आरंभ हो गया है। श्री दशलक्षण महापर्व का आगाज पुरे विधि विधान के साथ मंडला स्थापित कर किया गया। पहले दिन उत्तम छमा धर्म का पूजा की गई। साथ ही कलश स्थापना की गई। इसका सौभाग्य मेन रोड में श्रीमति इन्दरमानी चूड़ीवाल एव रांची रोड में सुभाष कुमार पाटनी को मिला। वही प्रथम अभिषेक मेन रोड में विद्या प्रकाश पदम चंद छाबरा तथा रांची रोड मंदिर में नरेंद्र कुमार छाबरा को मिला। वही शांति धारा मेन रोड मंदिर में मांगी लाल, अशोक कुमार चूड़ीवाल को एवं रांची रोड में श्रीमती अमराओ देवी पाटनी को मिला। अखंड जोत का सौभाग्य मेन रोड के मंदिर में आरुणा जैन एवं रांची रोड में विनय कुमार जैन को मिला। इस मौके पर आचार्य ने बताया कि क्षमा सहनशीलता, क्रोध को पैदा न होने देना, क्रोध पैदा हो ही जाए तो अपने विवेक से, नम्रता से उसे विफल कर देना, अपने भीतर क्रोध का कारण ढूंढना, क्रोध से होने वाले अनर्थों को सोचना, दूसरों की बेसमझी का ख्याल न करना। क्षमा के गुणों का चिंतन करना उत्तम-क्षमा है।
संसार में प्रत्येक मानव प्राणी के लिए क्षमा रूपी शास्त्र इतना आवश्यक है, कि जिनके पास यह क्षमा नहीं होती। वह मनुष्य संसार में अपने इष्ट कार्य की सिद्धि नहीं कर सकता है।क्षमा यह आत्मा का धर्म है, इसलिए जो मानव अपना कल्याण चाहते हैं। उन्हें हमेशा इस भावना की रक्षा करनी चाहिए। क्षमावान् मनुष्य का इस लोक और परलोक में कोई शत्रु नहीं होता है। क्षमा ही सर्व धर्म का सार है। क्षमा ही सम्यग्दर्शन, ज्ञान, चारित्र रूप आत्मा का मुख्य सच्चा भंडार है। मंदिर में सुबह से ही पूजा और धार्मिक अनुष्ठान आरंभ हो गए। वहीं शाम को 7 बजे से महा आरती और सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
जिसके पास क्षमा नहीं होती, वह मनुष्य संसार में अपने इष्ट कार्य की सिद्धि नहीं कर सकता है : आचार्य
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