– पांच जजों की बेंच ने कहा, यह याचिकाएं खुली अदालत में सुनवाई के लायक नहीं
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या मामले पर सभी 19 पुनर्विचार याचिकाओं को खारिज कर दिया है। चीफ जस्टिस एस.ए. बोब्डे की अध्यक्षता वाली पांच जजों की बेंच ने चेंबर के भीतर विचार करने के बाद यह पाया कि यह याचिकाएं खुली अदालत में सुनवाई के लायक नहीं हैं।
इस मामले में 10 याचिकाएं मूल पक्षकारों ने दाखिल की थी। नौ नए लोगों की याचिका थी। मूल पक्षकारों की याचिका में सुप्रीम कोर्ट ने कोई नई बात नहीं पाई। इस मामले में 40 सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की थी। याचिका में नौ नवम्बर के सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर पुनर्विचार करने की मांग की गई थी। अयोध्या मामले पर अखिल भारतीय हिन्दू महासभा ने भी पुनर्विचार याचिका दायर की थी।
अखिल भारत हिन्दू महासभा की याचिका में कहा गया था कि मुसलमानों को दी पांच एकड़ जमीन वापस ले और बाबरी विध्वंस को गैरकानूनी बताने कि टिप्पणी को हटाया जाए। याचिका में मांग की गई थी कि फैसले में बाबरी मस्जिद विध्वंस को लेकर की गई सख्त टिप्पणियों को हटाया जाए। याचिका में कहा गया था कि इन टिप्पणियों से निचली अदालत में चल रहा ट्रायल प्रभावित होगा।
मुस्लिम पक्ष की याचिकाओं में कहा गया था कि फैसला 1992 में मस्जिद ढहाए जाने को मंजूरी देने जैसा है। कोर्ट ने अवैध रूप से रखी गई मूर्ति के पक्ष में फैसला सुनाया। याचिका में कहा गया था कि अवैध हरकत करने वाले को जमीन दी गई। मुसलमानों को पांच एकड़ जमीन देने का फैसला पूरा इंसाफ नहीं कहा जा सकता है। याचिका में सुप्रीम कोर्ट के नौ नवम्बर के फैसले पर दोबारा विचार करने की मांग की गई थी।
पीस पार्टी ने भी सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की थी। पीस पार्टी ने अपनी याचिका में कहा था कि 1949 तक विवादित स्थल पर मुस्लिमों का अधिकार था। पीस पार्टी ने अपनी याचिका में कहा था कि 1949 तक विवादित स्थल पर मुस्लिमों का अधिकार था। 1949 तक सेंट्रल डोम के नीचे नमाज अदा की गई थी और कोई भी भगवान की मूर्ति डोम के नीचे तब तक नहीं थी। पीस पार्टी ने कहा था कि पुरातत्व विभाग की रिपोर्ट में भी इस बात के साक्ष्य नहीं है कि मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाई गई। 1885 में बाहरी अहाते में राम चबूतरे पर हिन्दू पूजा करते थे, आंतरिक हिस्सा मुसलमानों के पास था। पिछले दो दिसम्बर को जमीयत उलेमा हिन्द ने पुनर्विचार याचिका दायर की थी।
पिछले नौ नवम्बर को सुप्रीम कोर्ट ने सर्वसम्मत फैसले में अयोध्या की विवादित भूमि पर मंदिर बनाने का आदेश दिया था। तत्कालीन चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान बेंच ने मुसलमानों को वैकल्पिक स्थान पर पांच एकड़ भूमि देने का आदेश दिया था। कोर्ट ने कहा था कि विवादित भूमि फिलहाल केंद्र सरकार अधिग्रहित करेगी। केंद्र सरकार तीन महीने के अंदर ट्रस्ट का गठन कर उस भूमि को मंदिर निर्माण के लिए देगी।